2017 से पहले था निवेश का सूखा, अब योगी राज में हो रही निवेश क्रांति

लखनऊ, 04 अगस्त। उत्तर प्रदेश, जो कभी निवेश के लिए आकर्षक गंतव्य नहीं माना जाता था, आज देश के सबसे भरोसेमंद और तेजी से विकसित होते औद्योगिक राज्यों की पंक्ति में खड़ा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में राज्य ने निवेश और औद्योगिक विकास के क्षेत्र में ऐसी छलांग लगाई है, जिसकी मिसाल कम ही देखने को मिलती है। योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश आज “रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफॉर्म” मॉडल का सर्वोत्तम उदाहरण बन चुका है। जहां एक ओर 2017 से पहले यूपी निवेश मानचित्र पर मुश्किल से स्थान पा रहा था, वहीं अब यह राज्य वैश्विक निवेशकों के लिए पहला विकल्प बन गया है। विगत 8 वर्षों में लाखों करोड़ का निवेश और दुनिया भर के निवेशकों का उत्तर प्रदेश की ओर रिझान इसी ओर इशारा कर रहा है।

2017 से पहले था निवेश का सूखा, नीति और व्यवस्था की कमी
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो वर्ष 2000 से 2017 तक 17 वर्षों में यूपी को महज ₹3,000 करोड़ का एफडीआई प्राप्त हुआ था। 2016–17 में यह आंकड़ा गिरकर ₹50 करोड़ तक सिमट गया था जो राज्य की छवि और औद्योगिक अभाव को दर्शाता है। राज्य में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस की रैंकिंग औसत थी, सिंगल विंडो सिस्टम जैसी बुनियादी सुविधाओं की भारी कमी थी। यही नहीं, औद्योगिक विकास के लिए न तो स्पष्ट विज़न था और न ही स्थिर कानून व्यवस्था, जिससे निवेशकों में विश्वास की कमी बनी रही।

2017 के बाद एक नए युग की शुरुआत
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश ने “निवेश के लिए सर्वश्रेष्ठ गंतव्य” बनने का संकल्प लिया। इसके चलते 2019 से 2023 के बीच यूपी ने हजारों करोड़ से अधिक के एफडीआई को आकर्षित किया जो पूर्व की तुलना में कई गुना अधिक वृद्धि रही। सरकार ने दो इन्वेस्टर्स समिट (2018 यूपी इन्वेस्टर्स और 2023 ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट) सफलतापूर्वक आयोजित किए। 2018 जीआईएस से ₹4.28 लाख करोड़ के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए, जबकि 2023 जीआईएस से रिकॉर्ड ₹33.50 लाख करोड़ से अधिक के निवेश प्रस्ताव हासिल हुए। योगी सरकार ने इन निवेश प्रस्तावों को धरातल पर उतारने के लिए अब तक चार ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी (जीबीसी) का सफलतापूर्वक आयोजन किया और अब जीबीसी-5 की तैयारी ज़ोरों पर है।

सिर्फ वादे नहीं, परिणाम भी
प्रदेश में अब तक जो चार ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी आयोजित की गई हैं, उनके माध्यम से 16,000 से अधिक परियोजनाएं धरातल पर उतर चुकी हैं। इनमें 8,000 से अधिक में वाणिज्यिक संचालन शुरू हो चुका है, जबकि 8,000 से अधिक कार्यान्वयनाधीन हैं। जो निवेश धरातल पर उतर रहा है उसमें सबसे ज्यादा निवेश विनिर्माण (62.25%), सेवा (28.09%) और अवसंरचना क्षेत्रों में हुआ है। इसके माध्यम से वीवो, टाटा, अदानी, पेप्सिको, हल्दीराम, आइकिया जैसी कंपनियों ने बड़े पैमाने पर अपने निवेश को धरातल पर उतारा है। इस वर्ष नंवबर में प्रस्तावित जीबीसी-5 के जरिए 5 लाख करोड़ रुपए की परियोजनाओं को धरातल पर उतारने का लक्ष्य है जो आयोजन की तिथि तक बढ़कर 10 लाख करोड़ तक पहुंच सकता है। इस निवेश के धरातल पर उतरने से रोजगार के लाखों नए अवसर, स्थानीय उद्यमों का विकास और समग्र सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन की उम्मीद है।

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