बिहार के मतदाताओं की परिपक्वता दक्षिण एशियाई लोकतंत्र के लिए बनी मिसाल

पटना : बिहार विधानसभा चुनाव-2025 ने न सिर्फ देश, बल्कि दुनिया को चौंका दिया है। जिस राज्य को लम्बे समय तक राजनीतिक अस्थिरता, जातीय समीकरणों और गठबंधन बदलावों की प्रयोगशाला कहा जाता रहा, उसी बिहार ने इस बार ऐसा नतीजा दिया, जिसने सभी राजनीतिक विश्लेषकों, एजेंसियों और अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों के अनुमान ध्वस्त कर दिए।

 

जब राजनीतिक पंडित 243 सीटों में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) और महागठबंधन को कितनी-कितनी सीटें मिलेंगी का अनुमान लगा रहे थे, कोई राजग का, तो कोई महागठबंधन की सरकार बना रहे थे। वहीं बिहार की जनता ने राजग को 202 सीटें देकर राजनीतिक पंडितों को संदेश दे दिया है कि उन्हें स्थिरता चाहिए और विकास के साथ जुड़ा नेतृत्व चाहिए। दुनिया के लिए आश्चर्य इसलिए भी कि बिहार ने हर उस पूर्वानुमान को गलत साबित किया, जिसमें मुकाबला कड़ी टक्कर और नीतीश बनाम तेजस्वी तक सीमित माना जा रहा था।

 

राजनीतिक विश्लेषक एवं शिक्षाविद् प्रो. रविकांत पाठक के अनुसार, लोकतंत्र, सामाजिक संरचना और जनादेश पर नजर रखने वाली कई वैश्विक एजेंसियों ने माना कि बिहार के मतदाताओं ने जिस परिपक्वता के साथ वोट दिया, वह दक्षिण एशियाई लोकतंत्र के लिए एक मिसाल है। दुनिया को चौंकाने वाला यह जनादेश तीन बड़े संदेश देता है। जातीय राजनीति से ऊपर उठकर विकास का समर्थन। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता का असर और स्थिरता के लिए निर्णायक मतदान।

 

प्रो. रविकांत पाठक ने बताया कि विधानसभा चुनाव-2025 में बिहार ने पारंपरिक जातीय समीकरणों को झकझोर कर रख दिया। जनता ने साफ कहा है कि विकास सबसे बड़ा मुद्दा है। बिहार ने इस चुनाव में मोदी फैक्टर को एक नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया। यही वजह है कि प्रधानमंत्री ने भी कहा कि हम बिहार के लोगों का दिल चुराकर बैठे हैं। दुनिया के लिए यह हैरानी की बात थी कि जहां सत्ता बनाने के लिए 122 सीटें काफी थीं, वहां बिहार की जनता ने राजग की झोली में 202 सीटें डाल दीं। यह बताता है कि जनता किसी तरह का राजनीतिक अस्थिरता नहीं चाहती थी।

 

रविकांत पाठक ने कहा कि इस चुनाव ने वह कर दिखाया जो शायद वर्षों बाद किसी राज्य में दिखाई देता है। मतदाताओं ने भावनाओं, विकास और नेतृत्व के संयोजन को एक दिशा में ला दिया। नतीजों ने राजनीतिक दलों को नया संदेश दिया। अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने इसे भारत के लोकतंत्र की परिपक्वता कहा है। भारत की राजनीति में बिहार ने फिर एक बार अपनी निर्णायक भूमिका दर्ज कराई है।

 

राजनीतिक विश्लेषक चन्द्रमा तिवारी ने कहा कि बिहार का यह जनादेश सिर्फ एक राज्य का चुनावी परिणाम नहीं, बल्कि दुनिया को दिया गया एक बड़ा संकेत है कि भारतीय लोकतंत्र मजबूत है, जागरूक है और जब जनता तय कर लेती है, तो नतीजे इतिहास लिखते हैं। बिहार ने दुनिया को इसलिए चौंकाया, क्योंकि यहां जनता ने न सिर्फ सरकार बनाई, बल्कि एक नया राजनीतिक संदेश भी दिया। जनता से संदेश दिया कि विकास ही भविष्य है और भविष्य को हम मजबूती से चुनते हैं।—-

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