ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित प्रख्यात हिन्दी साहित्यकार कृष्णा सोबती का निधन

नई दिल्ली : प्रख्यात हिन्दी साहित्यकार और साहित्य अकादमी से सम्मनित कृष्णा सोबती का शुक्रवार को लगभग 94 साल की उम्र में निधन हो गया। सोबती लम्बे समय से बीमार चल रही थीं। उनका निधन सुबह 8 बजे एक निजी अस्पताल में हुआ। कृष्णा सोबती को 1989 में उनके उपन्यास जिंदगीनामा के लिए सहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। साथ ही उन्हें हिन्दी साहित्य जगत में योगदान के लिए 2017 में ज्ञानपीठ पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। सोबती के उपन्यासों में सबसे प्रसिद्ध ‘मित्रो मरजानी’ को माना जाता है। इस उपन्यास को स्त्री मन के आधार पर लिखी गई एक खुले विचारों वाली रचना माना जाता है। कृष्णा सोबती की आखिरी पुस्तकों में ‘गुजरात पाकिस्तान से गुजरात हिन्दोस्तान तक’, ‘मुक्तिबोध’, ‘लेखक का जनतंत्र’ और ‘मार्फत दिल्‍ली’ शामिल हैं। कृष्णा सोबती की कालजयी उपन्यासों, ‘सूरजमुखी अंधेरे के’, ‘दिलोदानिश’, ‘ऐ लड़की’, ‘समय सरगम’, ‘जैनी मेहरबान सिंह’, ‘हम हशमत’, ‘बुद्ध का कमंडल लद्दाख’ उनके लेखन का उत्कृष्ट उदाहरण है।

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com