अमेरिकी राष्ट्रपति ने एक और बड़ा फैसला लेते हुए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से बाहर होने का फैसला कर लिया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत निक्की हैली ने एक बयान में कहा है कि अमेरिका यह कदम उठाने जा रहा है क्योंकि मानवाधिकार परिषद इस नाम के योग्य नहीं है।अमेरिकी राष्ट्रपति ने एक और बड़ा फैसला लेते हुए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से बाहर होने का फैसला कर लिया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत निक्की हैली ने एक बयान में कहा है कि अमेरिका यह कदम उठाने जा रहा है क्योंकि मानवाधिकार परिषद इस नाम के योग्य नहीं है।  जानकारी के अनुसार हैली ने कहा कि जब तथाकथित मानवाधिकार परिषद वेनेजुएला और ईरान में हो रहे मानवाधिकारों के उल्लंघन पर कुछ नहीं बोल पाती और कांगो जैसे देश का अपने नए सदस्य के तौर पर स्वागत करता है तो वह मानवाधिकार काउंसिल कहलाने का अधिकार खो देती है।  अमेरीका के विदेश मंत्री माइक पोम्पियो और संयुक्त राष्ट्र के लिए अमेरीका की दूत निकी हेली ने एक साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस बात की घोषणा की. निकी हैली ने कहा कि अमेरिका संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद से बाहर हो रहा है। उन्‍होंने कहा, 'मैं यह स्पष्ट कर देना चाहती हूं कि यह कदम हमारे मानवाधिकार प्रतिबद्धताओं से पीछे हटना नहीं है। ये इसके विपरीत है। हमने यह कदम इसलिए उठाया, क्योंकि हमारी प्रतिबद्धता हमें एक पाखंडी और आत्म-सेवा संगठन का हिस्सा बनने की अनुमति नहीं देती है, जो मानव अधिकारों का मजाक उड़ाती है।'  हेली ने पिछले साल ही सदस्यता वापस लेने की धमकी दी थी। उस समय उन्होंने इजरायल के खिलाफ परिषद पर पक्षपात करने का आरोप लगाया था। लेकिन मंगलवार की घोषणा यूएन मानवाधिकार परिषद प्रमुख द्वारा ट्रंप प्रशासन की निंदा किए जाने के एक दिन बाद की गई है। एक दिन पहले यूएन मानवाधिकार परिषद प्रमुख ने अप्रवासी बच्चों को उनके माता-पिता से अलग करने के लिए ट्रंप प्रशासन की निंदा की थी।  गौरतलब है कि अमेरिका ने पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज डब्‍ल्‍यू बुश के शासन काल में भी तीन साल तक मानवाधिकार परिषद का बहिष्‍कार किया था, लेकिन ओबामा के राष्‍ट्रपति बनने के बाद 2009 में वह इस परिषद में फिर से शामिल हुआ था।

जानकारी के अनुसार हैली ने कहा कि जब तथाकथित मानवाधिकार परिषद वेनेजुएला और ईरान में हो रहे मानवाधिकारों के उल्लंघन पर कुछ नहीं बोल पाती और कांगो जैसे देश का अपने नए सदस्य के तौर पर स्वागत करता है तो वह मानवाधिकार काउंसिल कहलाने का अधिकार खो देती है।

अमेरीका के विदेश मंत्री माइक पोम्पियो और संयुक्त राष्ट्र के लिए अमेरीका की दूत निकी हेली ने एक साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस बात की घोषणा की. निकी हैली ने कहा कि अमेरिका संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद से बाहर हो रहा है। उन्‍होंने कहा, ‘मैं यह स्पष्ट कर देना चाहती हूं कि यह कदम हमारे मानवाधिकार प्रतिबद्धताओं से पीछे हटना नहीं है। ये इसके विपरीत है। हमने यह कदम इसलिए उठाया, क्योंकि हमारी प्रतिबद्धता हमें एक पाखंडी और आत्म-सेवा संगठन का हिस्सा बनने की अनुमति नहीं देती है, जो मानव अधिकारों का मजाक उड़ाती है।’

हेली ने पिछले साल ही सदस्यता वापस लेने की धमकी दी थी। उस समय उन्होंने इजरायल के खिलाफ परिषद पर पक्षपात करने का आरोप लगाया था। लेकिन मंगलवार की घोषणा यूएन मानवाधिकार परिषद प्रमुख द्वारा ट्रंप प्रशासन की निंदा किए जाने के एक दिन बाद की गई है। एक दिन पहले यूएन मानवाधिकार परिषद प्रमुख ने अप्रवासी बच्चों को उनके माता-पिता से अलग करने के लिए ट्रंप प्रशासन की निंदा की थी।

गौरतलब है कि अमेरिका ने पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज डब्‍ल्‍यू बुश के शासन काल में भी तीन साल तक मानवाधिकार परिषद का बहिष्‍कार किया था, लेकिन ओबामा के राष्‍ट्रपति बनने के बाद 2009 में वह इस परिषद में फिर से शामिल हुआ था।