पीडीपी से समर्थन वापस लेने का फैसला चुनावी नहीं – शाह

भाजपा अध्यक्ष अमित शाह का का कहना है कि जम्मू -कश्मीर में पीडीपी से समर्थन वापसी का फैसला 2019 के लोक सभा चुनाव को लेकर नहीं लिया गया. इसके लिए उन्होंने जम्मू-कश्मीर के दबाव समूहों को राज्य के तीनों क्षेत्रों (जम्मू, कश्मीर घाटी और लद्दाख) के लिए समान विकास से जुड़ी उनकी पार्टी की कोशिशों को बाधित करने का दोषी ठहराया.भाजपा अध्यक्ष अमित शाह का का कहना है कि जम्मू -कश्मीर में पीडीपी से समर्थन वापसी का फैसला 2019 के लोक सभा चुनाव को लेकर नहीं लिया गया. इसके लिए उन्होंने जम्मू-कश्मीर के दबाव समूहों को राज्य के तीनों क्षेत्रों (जम्मू, कश्मीर घाटी और लद्दाख) के लिए समान विकास से जुड़ी उनकी पार्टी की कोशिशों को बाधित करने का दोषी ठहराया.    बता दें कि पीडीपी-भाजपा गठबंधन के टूटने के बाद पहली बार प्रतिक्रिया देते हुए शाह ने एक चैनल के साक्षात्कार में कहा कि पीडीपी से समर्थन वापस लेने का फैसला 2019 के लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए नहीं लिया गया. यदि ऐसा होता तो यह फैसला छह महीने बाद लिया जाता. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को पर्याप्त धनराशि दिए जाने के बावजूद कश्मीरी पंडितों और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से राज्य में पहुंचे लोगों को राहत एवं पुनर्वास उपलब्ध कराने की कोशिशों एवं अन्य मुद्दों में खास प्रगति नहीं हुई .    उल्लेखनीय है कि इस विशेष साक्षात्कार में शाह ने कहा कि उपरोक्त मामलों में ज्यादा इंतजार नहीं किया जा सकता था.महबूबा मुफ्ती का इरादा गलत नहीं था लेकिन कई तरह के दबाव समूह आने से संतुलित विकास का सपना टूट गया. जम्मू, कश्मीर और लद्दाख के तीनों क्षेत्रों में जो संतुलित विकास होना चाहिए था, वह नहीं हुआ .साथ ही कानून व्यवस्था की स्थिति भी बदतर हुई. इसलिए यह फैसला लिया. 2015 में खंडित जनादेश में पीडीपी के साथ हाथ मिलाने के अलावा कोई विकल्प नहीं था.

बता दें कि पीडीपी-भाजपा गठबंधन के टूटने के बाद पहली बार प्रतिक्रिया देते हुए शाह ने एक चैनल के साक्षात्कार में कहा कि पीडीपी से समर्थन वापस लेने का फैसला 2019 के लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए नहीं लिया गया. यदि ऐसा होता तो यह फैसला छह महीने बाद लिया जाता. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को पर्याप्त धनराशि दिए जाने के बावजूद कश्मीरी पंडितों और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से राज्य में पहुंचे लोगों को राहत एवं पुनर्वास उपलब्ध कराने की कोशिशों एवं अन्य मुद्दों में खास प्रगति नहीं हुई .

उल्लेखनीय है कि इस विशेष साक्षात्कार में शाह ने कहा कि उपरोक्त मामलों में ज्यादा इंतजार नहीं किया जा सकता था.महबूबा मुफ्ती का इरादा गलत नहीं था लेकिन कई तरह के दबाव समूह आने से संतुलित विकास का सपना टूट गया. जम्मू, कश्मीर और लद्दाख के तीनों क्षेत्रों में जो संतुलित विकास होना चाहिए था, वह नहीं हुआ .साथ ही कानून व्यवस्था की स्थिति भी बदतर हुई. इसलिए यह फैसला लिया. 2015 में खंडित जनादेश में पीडीपी के साथ हाथ मिलाने के अलावा कोई विकल्प नहीं था.

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