वीरवार को गाड़ी से उतरने के बाद एक युवक ने छूटे बैग के लिए अपनी जान डाल दी जोखिम में…

सिटी रेलवे स्टेशन पर एक बार फिर शताब्दी के ऑटोमेटिक दरवाजे सुर्खियां बन गए। वीरवार को गाड़ी से उतरने के बाद एक युवक ने मात्र एक बैग के लिए अपनी जान जोखिम में डाल दी और दौड़कर किसी तरह ट्रेन के अंदर घुसने की कोशिश करने लगा। ट्रेन के दरवाजे बंद थे। किसी कारण एक दरवाजा खुला रह गया था और वह उसी से ट्रेन में चढ़ गया। गनीमत रही कि इस दौरान कोई अनहोनी नहीं हुई। जालंधर सिटी स्टेशन पर पिछले आठ दिन में ऑटोमेटिक डोर क्लोजिंग के कारण यात्री के परेशान होने की यह तीसरी घटना है।

हुआ यूं कि शताब्दी की अंतिम तीन बोगियों में स्टूडेंट्स के ग्रुप थे। गाड़ी जब जालंधर रुकी तो हड़बड़ाहट में हर कोई यही कह रहा था कि जल्दी से करो नहीं तो दरवाजे बंद हो जाएंगे। इसी चक्कर में एक युवक के परिवार का एक बैग ट्रेन में ही रह गया। इसका पता उन्हें तब चला जब उन्होंने प्लेटफॉर्म पर बैग गिने। इतने में ट्रेन चल पड़ी।

युवक ट्रेन के साथ भागते-भागते अंदर बैठे यात्री से कहता जा रहा था कि अंकल स्टॉप का बटन दबा दो, अंदर बैग रह गया है। उसे ट्रेन के साथ भागते देख घरवाले कहने लगे कोई बात नहीं, वह रहने दें। फिर भी, युवक ने किसी की बात नहीं सुनी और ट्रेन के साथ भागता रहा। इतने में उसे एक दरवाजा खुला नजर आया। वह अपनी जान जोखिम में डालकर ट्रेन में घुस गया। बाद में उसने अपने कोच में जाकर बैग कब्जे में लिया और अगले स्टेशन ब्यास पर उतर गया।

पिछले सप्ताह अमृतसर जा रहे गुरप्रीत हुए थे परेशान 

पिछले सप्ताह पहली घटना दिल्ली से अमृतसर लौट रहे गुरप्रीत सिंह के साथ घटी थी। वह फोन सुनते हुए ट्रेन से उतर गए थे। जब तक वह वापस लौटते ट्रेन के स्टार्ट होते ही दरवाजे बंद हो गए थे। ऐसे में वह भी ट्रेन के साथ भागते हुए दरवाजे खोलने व ट्रेन रुकवाने के लिए चिल्ला रहे थे कि उनके बच्चे अंदर हैं। हालांकि इस मामले में गार्ड ने स्थिति का पता चलते ही ट्रेन को रुकवाकर उन्हें अपने डिब्बे में बैठा लिया था। उसी दिन जगदीश को परिवार के साथ अहमदाबाद छुट्टियां बिताने जाना था। मगर सामने तेजस कोच की लुक देखकर अंदर सीटों के पीछे लगी एलइडी स्क्रीन देखने के लिए ट्रेन में घुस गए। तभी ट्रेन के दरवाजे बंद हो गए और वह ब्यास पहुंच गए। उन्होंने व्हाट्सएप के जरिए परिवार को अहमदाबाद ट्रेन टिकट भेंजी और खुद अगले दिन अहमदाबाद के लिए रवाना हुए थे।

आपातकाल में अंदर से खुल सकता है दरवाजा

तेजस कोच के ऑटोमैटिक दरवाजों का कंट्रोल ट्रेन के गार्ड और ड्राइवर दोनों के पास रहता है। इस कोच के दरवाजों के अंदर की तरफ एक वाल्व भी है जिसे परेशानी की सूरत में खोला जा सकता है। यह वाल्व केवल अंदर से ही खोला जा सकता है।

 शताब्दी मे लगते हैं तेजस के ऑटोमैटिक कोच

बता दें कि शताब्दी एक्सप्रेस में प्रत्येक वीरवार को तेजस कोच लगते हैं। इसमें ऑटोमेटिक दरवाजे हैं जो ट्रेन के रुकने और चलने पर ही खुलते और बंद होते हैं। स्टेशन पर पहुंचने से पहले ही एन्क्वायरी से निरंतर अनाउंसमेंट भी हो रही थी कि कोई भी व्यक्ति जो अपने रिश्तेदारों को चढ़ाने आए हैं, वे ट्रेन के अंदर न जाए। ट्रेन के ऑटोमेटिक दरवाजे हैं।

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