संकटमोचक अरुण जेटली की आखिरी विदाई पर रो पड़ा आसमान भी

नई दिल्ली : भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के संकटमोचक अरुण जेटली की आखिरी विदाई के अंतिम पलों पर रविवार को आसमान भी रो पड़ा। अंतिम संस्कार से पहले यहां निगम बोध घाट पर उन्हें राजकीय सम्मान के साथ विदाई दी गई। इसके बाद नम आंखों से पुत्र रोहन ने मुखाग्नि दी। चिता की उठती लपटों के साथ आर्थिक सुधारों के सूत्रधार जेटली पंचतत्व में विलीन हो गए। इससे पहले भाजपा मुख्यालय में अपराह्न एक बजे तक पार्टी नेताओं, कार्यकर्ताओं और आमजन ने उनके अंतिम दर्शन किए। कुछ देरबाद दीन दयाल उपाध्याय मार्ग स्थित भाजपा मुख्यालय से उनका पार्थिव शरीर निगम बोध घाट ले जाया गया। पार्टी मुख्यालय से निगम बोध घाट की दूरी करीब आठ किलोमीटर है। अंतिम यात्रा को निगम बोध घाट पहुंचने में एक घंटे का समय लगा। अंतिम दर्शन के लिए रास्ते में खड़े लोगों ने फूल बरसाकर अरुण जेटली को अश्रपूरित श्रद्धांजलि अर्पित की।

उप राष्ट्रपति वेंकैया नाडयू, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख डॉ. मोहन भगवत, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला, भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, गृहमंत्री एवं भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा, भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय , शिरोमणि अकाली दल(बादल) के नेता सुखबीर सिंह, मंत्री हरिसमित सिंह कौर, केंद्रीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी, स्वास्थ्यमंत्री डॉ. हर्षवर्धन, केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण, केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान, केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद, योग गुरु बाबा रामदेव और मुख्यमंत्रियों क्रमश : नीतिश कुमार, त्रिवेंद्र सिंह रावत, बीएस येदियुरप्पा, देवेन्द्र फणनवीस, अरविंद केजरीवाल, कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीयमंत्री कपिल सिब्बल समेत कई बड़े नेता एवं कार्यकर्ता मौजूद रहे।

उल्लेखनीय है कि शनिवार अपराह्न 12:07 बजे दिल्ली के एम्स में जेटली ने आखिरी सांस ली। सांस की शिकायत के बाद उन्हें 9 अगस्त को एम्स में भर्ती किया गया था। शनिवार शाम जेटली का पार्थिव शरीर दिल्ली स्थित उनके आवास कैलाश कॉलोनी लाया गया। हजारों नेताओं ने उनके आवास पहुंचकर जेटली को श्रद्धांजलि दी।प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी विदेश दौरे पर हैं। शनिवार को बहरीन में जेटली को याद करते हुए भावुक हुए प्रधानमंत्री ने कहा- ‘मेरा दोस्त अरुण चला गया। मैं कल्पना नहीं कर सकता हूं कि मेरा दोस्त नहीं रहा। कुछ ही दिन पहले हमने सुषमा बहन को खोया था। आज मेरा दोस्त अरुण भी चला गया।‘ प्रधानमंत्री ने अपने दोस्त जेटली के परिजनों से फोन पर बात भी की। जेटली के परिजनों ने प्रधानमंत्री से अनुरोध किया था कि वो अपनी महत्वपूर्ण यात्रा बीच में छोड़कर न आएं।

देश के पूर्व उप प्रधानमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने जेटली को याद करते हुए कहा कि वो खाने-पीने के शौकीन थे। ‘एक व्यक्ति के रूप में अरुण मेलजोल रखने वाले, विद्वान और बड़े दिल वाले थे। उन्होंने हमेशा मुझे अच्छे रेस्तरां के बारे में बताया और मैं निराश नहीं हुआ। जेटली एक कद्दावर सांसद और बेहतरीन प्रशासक भी थे। इन गुणों के साथ ही कानून का ज्ञान उनमें चार चांद लगा देता था। वो दशकों तक पार्टी के समर्पित कार्यकर्ता रहे। जब मैं पार्टी प्रमुख था तो उन्हें भाजपा की अहम टीम में शामिल किया गया और जल्द ही वो पार्टी के कद्दावर नेता बन गए। अरुण की विश्लेषण क्षमता कमाल की थी। पार्टी जटिल मुद्दों के समाधान पर उन पर ही निर्भर रहती थी।

उल्लेखनीय है कि देश के चोटी के वकील जेटली, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पहले कार्यकाल में वित्तमंत्री बने। इस दौरान बैंकरप्सी कानून बना और आर्थिक सुधारों के रूप में जीएसटी बिल अस्तित्व में आया। वह कुछ समय से डायबिटीज से भी पीड़ित थे। पिछले वर्ष उनकी किडनी का ट्रांसप्लांट हुआ था। इससे पहले 2014 में उनकी बाईपास सर्जरी हुई थी। आम चुनाव 2019 में दोबारा भाजपा की मोदी के नेतृत्व में प्रचंड जीत हुई तो जेटली ने सेहत का हवाला देते हुए मंत्री बनने से इंकार कर दिया था। पूर्व वित्तमंत्री अरुण जेटली के परिवार में पत्नी संगीता जेटली, बेटी सोनाली जेटली बख्शी और बेटे रोहन जेटली हैं।

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