हाईकोर्ट सख्त : स्कूलों में खेल का मैदान न होने पर मान्यता व ग्रांट पर रोक

स्कूलों में भवन मानक कड़ाई से लागू कराने का निर्देश

प्रयागराज : इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा है कि जिन स्कूलों में खेल का मैदान नहीं है उनको मान्यता और ग्रांट न दिया जाय। कोर्ट ने स्कूलों में भवन के मानक भी कड़ाई से लागू करने के लिए कहा है। प्रदेश सरकार और बेसिक शिक्षा विभाग को पांच माह में स्कूलों को मान्यता और ग्रांट देने पर नियम बनाने का निर्देश दिया है। यह नियम सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों, शिक्षा का अधिकार अधिनियम और हाईकोर्ट के निर्देशों के अनुसार बनाये जायेंगे। कोर्ट ने कहा है कि नियम लागू होने के बाद स्कूलों की मान्यता और ग्रांट पर नए सिरे से विचार किया जाए। कोर्ट ने उन स्कूलों की मान्यता पर फिर से विचार के लिए कहा है, जिनकी मान्यता पूर्व में किसी वजह से रद्द की जा चुकी है। जीएस कान्वेंट स्कूल सहित दर्जनों स्कूलों की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति अजय भनोट ने शनिवार को दिया। याचिकाओं में मांग की गयी थी याची स्कूलों की मान्यता संबंधी प्रत्यावेदन के निस्तारण का आदेश दिया जाये।

कोर्ट ने सभी याचिकाएं निस्तारित करते हुए सरकार को निर्देश दिया है कि स्कूलों की मान्यता को लेकर नियम बनाया जाए जिसमें उचित आकार का खेल मैदान, पेड़ लगाने का स्थान आदि शामिल हो। नियमों में विशेषज्ञों की राय के अनुसार स्कूल भवन का मानक और अन्य आधारभूत सुविधाएं भी शामिल की जाएं। कोर्ट ने कहा कि इस फैसले के अनुरूप स्कूलों के निरीक्षण की प्रक्रिया नए सिरे से तय की जाए। नियम बनने के बाद ही स्कूलों की मान्यता और ग्रांट संबंधी प्रार्थना पत्रों पर विचार का कोर्ट ने निर्देश दिया है।

कोर्ट ने कहा है कि स्कूलों के मानक तय करने में बच्चों के बस्ते का भार कम करने एवं उनके सुरक्षित आवागमन की व्यवस्था को लेकर जारी शासनादेशों और सरकार के निर्देशों को भी शामिल किया जाए। आरटीई एक्ट 2009 का कड़ाई से पालन करने के लिए मुख्य सचिव को विभिन्न विभागों के अधिकारियों की एक कमेटी बनाने का निर्देश दिया है। कमेटी अपनी रिपोर्ट छह माह में देगी। कोर्ट ने कहा है कि प्रदेश और जिला स्तर पर एक वेबसाइट बनाई जाय जो ‘साक्षर प्रदेश, सशक्त देश’ के नाम से होगी।

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