कार्बेट नेशनल पार्क में सुरक्षा पर खड़े अनुत्तरित सवाल

देश के पहले राष्ट्रीय उद्यान और उत्तर भारत में बाघों की प्रमुख पनाहगाह कार्बेट नेशनल पार्क में सुरक्षा को लेकर एक नहीं अनेक सवाल खड़े हैं, लेकिन इनके निदान की दिशा में सिवाय दावों के कोई ठोस पहल होती नहीं दिख रही।देश के पहले राष्ट्रीय उद्यान और उत्तर भारत में बाघों की प्रमुख पनाहगाह कार्बेट नेशनल पार्क में सुरक्षा को लेकर एक नहीं अनेक सवाल खड़े हैं, लेकिन इनके निदान की दिशा में सिवाय दावों के कोई ठोस पहल होती नहीं दिख रही।   कहने को तो चौकसी बढ़ाने के मद्देनजर कभी उप्र के साथ मिलकर सीमा पर सघन गश्त की बात होती है तो कभी वाच टावरों के जरिए पूरे पार्क क्षेत्र पर निगहबानी की, मगर ये कोशिशें परवान नहीं चढ़ पा रहीं। और तो और पूर्व में भारतीय वन्यजीव संस्थान की ओर से अध्ययन के लिहाज से पार्क में लगवाए गए कैमरा ट्रैप भी हटवा दिए गए। यही नहीं, खुफिया तंत्र को मजबूती देने के प्रयास भी पूरी तरह से फलीभूत नहीं हो पाए हैं। उधर, अपर सचिव वन धीरज पांडे ने माना कि कुछ खामियां हैं। इन्हें दूर करने की दिशा में सभी स्तरों पर प्रयास होने हैं और इसके लिए कवायद शुरू कर दी गई है।  उत्तर प्रदेश की सीमा से सटे कार्बेट नेशनल पार्क को वन्यजीव सुरक्षा के लिहाज से बेहद संवेदनशील माना जाता है। बाघों समेत दूसरे वन्यजीवों पर नजरें गड़ाए कुख्यात बावरिया गिरोहों के इसी सीमा से पार्क में घुसने की खबरें पूर्व में सुर्खियां बनती रही हैं। 2016 में बरामद हुई बाघ की छह खालों के मामले में जब शिकारी पकड़े गए तो बात सामने आई थी कि इनका शिकार कार्बेट में हुआ। कुख्यात बावरिया गिरोह पार्क की इसी सीमा से होकर घुसे थे। हालांकि, बाद में यह मसला सीमा विवाद में उलझाकर रख दिया गया। वन्यजीवों के शिकार के 70 फीसद मामलों में बावरिया गिरोहों की सक्रियता की बातें सामने आती रही हैं। इस क्रम में पूर्व में राज्य में सक्रिय पांच कुख्यात गिरोह चिह्नित किए गए। बावजूद इसके इन गिरोहों से जुड़े करीब 80 लोगों पर शिकंजा कसने को प्रभावी पहल का अब तक इंतजार है।    कार्बेट नेशनल पार्क में ही खतरे में हैं बाघ, सवाल तो उठेंगे ही यह भी पढ़ें यह स्थिति तब है, जबकि वाइल्ड लाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो शिकारी गिरोहों का डेटा बेस बनाने के साथ ही शिकारियों-तस्करों के संबंध में एक-दूसरे राज्यों से जानकारी शेयर करने पर लगातार जोर देता रहा है। यही नहीं, सुरक्षा के मद्देनजर राज्य पुलिस व एसटीएफ समेत अन्य एजेंसियों के मध्य बेहतर तालमेल के दावे भी अक्सर होते रहे हैं, लेकिन कार्बेट में इनकी कलई जब-तब खुलती रही है।  पार्क में बाघ सुरक्षा के लिए वॉच टावर, ई-वॉच योजना की पूर्व में पहल तो हुई, लेकिन बाद में इस कवायद में रखरखाव का पेच फंस गया। पार्क की उप्र से लगी सीमा पर दोनों राज्यों के कार्मिकों की सघन गश्त के अलावा पार्क के भीतर की गश्त पर भी अक्सर प्रश्न उठते रहे हैं। हालांकि, अब विभाग का दावा है कि इन बिंदुओं पर लगातार काम किया जा रहा है।

कहने को तो चौकसी बढ़ाने के मद्देनजर कभी उप्र के साथ मिलकर सीमा पर सघन गश्त की बात होती है तो कभी वाच टावरों के जरिए पूरे पार्क क्षेत्र पर निगहबानी की, मगर ये कोशिशें परवान नहीं चढ़ पा रहीं। और तो और पूर्व में भारतीय वन्यजीव संस्थान की ओर से अध्ययन के लिहाज से पार्क में लगवाए गए कैमरा ट्रैप भी हटवा दिए गए। यही नहीं, खुफिया तंत्र को मजबूती देने के प्रयास भी पूरी तरह से फलीभूत नहीं हो पाए हैं। उधर, अपर सचिव वन धीरज पांडे ने माना कि कुछ खामियां हैं। इन्हें दूर करने की दिशा में सभी स्तरों पर प्रयास होने हैं और इसके लिए कवायद शुरू कर दी गई है।

उत्तर प्रदेश की सीमा से सटे कार्बेट नेशनल पार्क को वन्यजीव सुरक्षा के लिहाज से बेहद संवेदनशील माना जाता है। बाघों समेत दूसरे वन्यजीवों पर नजरें गड़ाए कुख्यात बावरिया गिरोहों के इसी सीमा से पार्क में घुसने की खबरें पूर्व में सुर्खियां बनती रही हैं। 2016 में बरामद हुई बाघ की छह खालों के मामले में जब शिकारी पकड़े गए तो बात सामने आई थी कि इनका शिकार कार्बेट में हुआ। कुख्यात बावरिया गिरोह पार्क की इसी सीमा से होकर घुसे थे। हालांकि, बाद में यह मसला सीमा विवाद में उलझाकर रख दिया गया। वन्यजीवों के शिकार के 70 फीसद मामलों में बावरिया गिरोहों की सक्रियता की बातें सामने आती रही हैं। इस क्रम में पूर्व में राज्य में सक्रिय पांच कुख्यात गिरोह चिह्नित किए गए। बावजूद इसके इन गिरोहों से जुड़े करीब 80 लोगों पर शिकंजा कसने को प्रभावी पहल का अब तक इंतजार है। 

यह स्थिति तब है, जबकि वाइल्ड लाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो शिकारी गिरोहों का डेटा बेस बनाने के साथ ही शिकारियों-तस्करों के संबंध में एक-दूसरे राज्यों से जानकारी शेयर करने पर लगातार जोर देता रहा है। यही नहीं, सुरक्षा के मद्देनजर राज्य पुलिस व एसटीएफ समेत अन्य एजेंसियों के मध्य बेहतर तालमेल के दावे भी अक्सर होते रहे हैं, लेकिन कार्बेट में इनकी कलई जब-तब खुलती रही है।

पार्क में बाघ सुरक्षा के लिए वॉच टावर, ई-वॉच योजना की पूर्व में पहल तो हुई, लेकिन बाद में इस कवायद में रखरखाव का पेच फंस गया। पार्क की उप्र से लगी सीमा पर दोनों राज्यों के कार्मिकों की सघन गश्त के अलावा पार्क के भीतर की गश्त पर भी अक्सर प्रश्न उठते रहे हैं। हालांकि, अब विभाग का दावा है कि इन बिंदुओं पर लगातार काम किया जा रहा है।

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com