ईवाई इंडिया की रिपोर्ट में बताया गया कि वर्तमान में 67 प्रतिशत भारतीय कंपनियां अपनी एप्लीकेशन को क्लाउड पर स्थानांतरित कर रही हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, ज्यादातर भारतीय कंपनियां हाइब्रिड अप्रोच को अपना रही हैं। करीब 80 प्रतिशत कंपनियां अपनी एप्लीकेशन को आंशिक तौर पर क्लाउड और इन-हाउस दोनों प्रकार से मैनेज कर रही हैं। यह अप्रोच लचीलेपन की अनुमति देती है, साथ ही पूर्ण क्लाउड माइग्रेशन की दिशा में प्रगति के लिए कंपनियों को सक्षम बनाती है।
ईवाई इंडिया के टेक्नोलॉजी कंसल्टिंग पार्टनर, अभिनव जौहरी ने कहा, भारत में क्लाउड टेक्नोलॉजी को तेजी से अपनाना महज तकनीकी अपग्रेड से कहीं अधिक है। यह एक परिवर्तनकारी बदलाव है जो व्यवसायों को अपने ऑपरेटिंग मॉडल, उत्पादों या सेवाओं को फिर से परिभाषित करने का अधिकार देता है।
जौहरी ने आगे कहा,क्लाउड के जरिए एआई की क्षमताओं का लाभ उठाकर कंपनियां अब ग्राहकों की उभरती जरूरतों और बाजार में बदलावों पर तेजी से प्रतिक्रिया दे सकती हैं और एआई-संचालित समाधानों के माध्यम से बेहतर मूल्य प्रदान कर सकती हैं।
रिपोर्ट में बताया गया कि व्यावसायिक प्रक्रियाओं में एआई और एमएल को शामिल करने काफी कंपनियों को काफी लाभ हुआ है।
रिपोर्ट के अनुसार, 37 प्रतिशत भारतीय कंपनियों ने क्लाउड माइग्रेशन के बाद उत्पाद और सेवाओं में इनोवेशन को आगे बढ़ाने में इन तकनीकों को महत्वपूर्ण बताया है।
वैश्विक स्तर पर 38 प्रतिशत की तुलना में लगभग 25 प्रतिशत घरेलू कंपनियां, कौशल और क्षमता के अंतर को क्लाउड-नेटिव ऐप्लीकेशन के विकास में एक प्रमुख बाधा मानती हैं।
रिपोर्ट में कहा गया कि साइबर सिक्योरिटी और बजट को कंपनियां पूर्ण क्लाउड माइग्रेशन में बाधा मानती है। साथ ही कहा कि एआई और एमएल को व्यावसायिक प्रक्रियाओं में शामिल करना कंपनियों के लिए एक फायदे का सौदा है।
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