जयपुर : राजस्थान में शनिवार शाम को राज्य सरकार और आपदा प्रबंधन विभाग की ओर से ‘ऑपरेशन शील्ड’ के तहत बड़े पैमाने पर हवाई हमले और आपात स्थिति से निपटने के लिए मॉक ड्रिल और ब्लैकआउट अभ्यास किया गया। इस अभ्यास का उद्देश्य नागरिकों को आपदा प्रबंधन प्रक्रियाओं से अवगत कराना और युद्ध या आतंकी हमले जैसी स्थिति में प्रशासन की तैयारियों की जांच करना था।
राज्यभर में शाम करीब आठ बजे से पहले अलग-अलग शहरों में ब्लैकआउट किया गया।
जयपुर के खातीपुरा रोड से लेकर हसनपुरा तक का क्षेत्र अंधेरे में डूब गया। इससे पहले पुलिस की टीमों ने कॉलोनियों में जाकर नागरिकों को सूचित किया, जिसके बाद अधिकांश लोगों ने तय समय से पहले ही अपने घरों और दुकानों की लाइटें बंद कर दीं।
अजमेर, बीकानेर, चित्तौड़गढ़, नागौर, उदयपुर, झुंझुनूं, सवाई माधोपुर, श्रीगंगानगर, डीडवाना, जैसलमेर, करौली, धौलपुर, कोटा सहित लगभग सभी जिलों में ब्लैकआउट और मॉक ड्रिल की गई। अजमेर में जैसे ही घड़ी में आठ बजे सभी सरकारी स्ट्रीट लाइट्स बंद कर दी गईं और नागरिकों ने अपने घरों की लाइटें भी बुझा दीं। वहीं बीकानेर में ब्लैकआउट के दौरान प्रशासन ने बिजली बंद कर दी, लेकिन अधिकांश वाहन चालकों ने अपनी हेडलाइट्स बंद नहीं कीं, जिससे कुछ क्षेत्रों में अंधेरे का प्रभाव पूरी तरह नहीं दिखा।
इस दौरान जगह-जगह पर ड्रोन और मिसाइल हमलों की काल्पनिक स्थितियां बनाकर हवाई हमलों की मॉक ड्रिल की गई। जयपुर के खातीपुरा में स्थित एक स्कूल में युद्ध जैसे माहौल में धमाके और हवाई फायर की स्थिति को दिखाया गया, जिसके बाद एसडीआरएफ और सिविल डिफेंस की टीमें मौके पर पहुंचीं और राहत कार्यों का संचालन किया।
झालावाड़ के कालीसिंध बांध पर मॉक ड्रिल के दौरान एक अप्रत्याशित वास्तविक आपात स्थिति बन गई जब वहां मौजूद अधिकारियों और कर्मचारियों पर मधुमक्खियों ने हमला कर दिया। कलेक्टर, एसपी समेत कई अधिकारियों को भागकर जान बचानी पड़ी। अधिकारियों ने बताया कि बांध के आसपास मधुमक्खियों के छत्ते थे, जिनके उड़ जाने से यह स्थिति बनी।
डीडवाना में पुलिस लाइन पर एयर स्ट्राइक की मॉक ड्रिल में 20 लोगों के घायल होने की सूचना पर राहत टीमें पहुंचीं और घायलों को अस्पताल भेजा गया। इसी तरह प्रतापगढ़ के गौतमेश्वर मंदिर, बारां के अडानी पावर प्लांट, और बाड़मेर के उत्तलाई एयरबेस पर भी हमले की काल्पनिक स्थितियों में रेस्क्यू ऑपरेशन का अभ्यास किया गया।
सवाई माधोपुर के मानटाउन गर्ल्स स्कूल, करौली के गवर्नमेंट कॉलेज, और भरतपुर के सेवर क्षेत्र में ड्रोन अटैक की स्थिति में स्कूलों और मंदिरों को खाली कराकर घायलों को अस्पताल भेजने की प्रक्रिया का रिहर्सल किया गया। कई स्थानों पर बिल्डिंग में फंसे लोगों को रस्सी के सहारे बाहर निकालने का अभ्यास भी किया गया।
जालोर रेलवे स्टेशन पर आतंकी हमले की मॉक ड्रिल में विस्फोट की सूचना पर रेस्क्यू और प्राथमिक उपचार का प्रदर्शन किया गया। कोटा, उदयपुर और बीकानेर में आर्मी और मिलिट्री एरिया में ड्रोन अटैक की मॉक ड्रिल की गई, जिसमें सेना, पुलिस, फायर ब्रिगेड और मेडिकल टीमों ने आपात सेवाएं पहुंचाई।
पूरे राज्य में एक जैसी रणनीति के तहत पहले सायरन बजाए गए, फिर हमलों की सूचना दी गई और तत्पश्चात ब्लैकआउट के आदेश दिए गए। रेस्क्यू ऑपरेशन्स के दौरान घायल नागरिकों को अस्पतालों में ले जाया गया, वहीं फायर ब्रिगेड ने आग बुझाने और भीड़ नियंत्रण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
इस अभ्यास के दौरान आम लोगों को यह भी संदेश दिया गया कि अगर कभी रुक-रुककर सायरन बजें तो घबराने की जरूरत नहीं है, बल्कि शांत रहते हुए प्रशासन के निर्देशों का पालन करना चाहिए।
‘ऑपरेशन शील्ड’ की इस व्यापक मॉक ड्रिल ने प्रशासन, सुरक्षा बलों और नागरिकों की आपातकालीन स्थितियों में प्रतिक्रिया क्षमता को परखने का अवसर दिया और युद्ध जैसी परिस्थितियों में आवश्यक तालमेल व समन्वय को मजबूत करने की दिशा में एक प्रभावशाली प्रयास सिद्ध हुआ।