नई दिल्ली : गृह मंत्रालय का कहना है कि जनगणना के लिए बजट कभी कोई अड़चन नहीं रही है। सरकार ने हमेशा आवश्यक धनराशि उपलब्ध कराई है। वहीं मंत्रालय का कहना है कि गृह मंत्री अमित शाह ने बार-बार यह आश्वासन दिया है कि परिसीमन प्रक्रिया में दक्षिणी राज्यों की चिंताओं पर उचित समय पर ध्यान दिया जाएगा और उनसे बातचीत भी की जाएगी। जनगणना से संबंधित हर निर्णय व्यापक विमर्श और तैयारी के बाद ही लिया जा रहा है।
गृह मंत्रालय ने कल की गई जनगणना संबंधित अपनी घोषणा के बाद आज स्पष्ट किया है कि देश की अगली जनगणना अब 2027 में कराई जाएगी। यह निर्णय कोविड-19 महामारी के कारण उत्पन्न स्थितियों को ध्यान में रखकर लिया गया है। 2021 में होने वाली जनगणना की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई थीं, लेकिन महामारी के प्रकोप के कारण इसे टालना पड़ा।
मंत्रालय ने आगे कहा कि जनगणना के लिए लगभग 30 लाख प्रगणकों की आवश्यकता होती है। ये प्रगणक प्रायः प्राथमिक विद्यालयों के शिक्षक होते हैं। महामारी के बाद यदि जनगणना होती तो शिक्षा व्यवस्था में भारी व्यवधान आता। मंत्रालय ने यह भी कहा कि कई देशों को कोविड के तुरंत बाद कराई गई जनगणना में आंकड़ों की गुणवत्ता और कवरेज से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ा।
वक्तव्य के अनुसार अब सरकार ने यह निर्णय लिया है कि जनगणना की प्रक्रिया दोबारा शुरू की जाएगी और यह 01 मार्च 2027 को पूर्ण होगी। यह तिथि जनगणना की आधिकारिक संदर्भ तिथि के रूप में तय की गई है।