नई दिल्ली : दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने मंगलवार को कहा कि हमने दिल्ली के सभी अस्पतालों में स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार के लिए व्यापक योजनाएं शुरू कर दी हैं। चाहे वह इन्फ्रास्ट्रक्चर का उन्नयन हो, परिसर का विकास हो, या बेड की संख्या में वृद्धि, सभी के लिए टेंडर जारी कर दिए गए हैं और शीघ्र ही ये सुविधाएं धरातल पर दिखेंगी। सीटी स्कैन, अल्ट्रासाउंड जैसी आधुनिक मशीनों की स्थापना प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है ताकि हर अस्पताल में सभी आवश्यक उपकरण उपलब्ध हों। साथ ही, चिकित्सा कर्मियों की स्थायी नियुक्तियों की दिशा में भी ठोस कदम उठाए जा रहे हैं।
रेखा गुप्ता मंगलवार को राष्ट्रीय डॉक्टर्स डे के अवसर पर लोक नायक अस्पताल के सभागार में “संत ईश्वर संवाद” कार्यक्रम को संबोधित कर रही थीं। उन्होंने कहा कि दवाइयों की खरीद में परोक्ष भ्रष्टाचार पर कठोर अंकुश लगाते हुए यह सुनिश्चित किया है कि हर अस्पताल में जन औषधि केंद्र हों। अब तक 17 अस्पतालों में इनके उद्घाटन हो चुके हैं और यह क्रम आगे भी जारी रहेगा।
संत ईश्वर फाउंडेशन द्वारा किए जा रहे सेवा क्षेत्र के प्रयासों की सराहना करते हुए रेखा गुप्ता ने डॉक्टर्स डे पर सभी चिकित्सकों के योगदान को नमन किया। उन्होंने कहा कि डॉक्टरों की सेवाओं का कोई मूल्यांकन संभव नहीं है—कोरोना जैसी भीषण महामारी में जब पूरी दुनिया थम-सी गई थी, तब आप नींद त्यागकर दिल्ली की सांसों को चलाए रखने में जुटे रहे। हमारे सरकारी अस्पतालों का उद्देश्य सेवा है, व्यवसाय नहीं।
लोक नायक अस्पताल एवं संत ईश्वर फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम में बड़ी संख्या में चिकित्सा समुदाय, नीति-निर्माता और सामाजिक क्षेत्र के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। एकात्म मानव दर्शन अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान के अध्यक्ष महेश चंद्र शर्मा, संत ईश्वर फाउंडेशन के चेयरमैन एवं विश्व हिंदू परिषद दिल्ली के अध्यक्ष कपिल खन्ना, आरएसएस के प्रांत संघचालक डॉ. अनिल अग्रवाल, चिकित्सा निदेशक, लोक नायक अस्पताल वीएल चौधरी, चांदनी चौक के सांसद प्रवीण खंडेलवाल विशेष रूप से उपस्थित रहें। कार्यक्रम के दौरान समस्त प्रमुख सरकारी अस्पतालों के प्रमुखों को “संत ईश्वर धन्वंतरि सम्मान” से सम्मानित किया गया। इन चिकित्सकों को यह सम्मान चिकित्सा सेवा में उनके अनुकरणीय योगदान के लिए प्रदान किया गया।
इस अवसर पर “भारत: चिकित्सा विज्ञान की जन्मभूमि” नामक प्रदर्शनी का उद्घाटन भी किया गया, जिसमें भारत की प्राचीन चिकित्सा पद्धतियों — आयुर्वेद, सिद्ध, योग और शल्यचिकित्सा से लेकर आधुनिक चिकित्सा विज्ञान में भारत के योगदान को विस्तार से प्रस्तुत किया गया।
संत ईश्वर फाउंडेशन के चेयरमैन कपिल खन्ना ने कहा, “संत ईश्वर संवाद” कार्यक्रम की शुरुआत पिछले वर्ष हुई थी, जिसका उद्देश्य केवल विचार-विनिमय नहीं बल्कि समाधान की दिशा में सार्थक पहल करना है। ‘संवाद’ का तात्पर्य यहां समाधान से है। डॉक्टर वास्तव में नागरिक कर्तव्य के प्रतिबिंब हैं, और कोविड-19 जैसी वैश्विक महामारी में उन्होंने यह सिद्ध भी किया। जब पाश्चात्य देश अपनी चिकित्सा व्यवस्था को अत्याधुनिक और सक्षम मानते हुए भी संकट में डगमगा गए, तब भारत ने अपनी चिकित्सा परंपरा, वैज्ञानिक क्षमता और समर्पित चिकित्सा कर्मियों के बल पर न केवल अपने नागरिकों की रक्षा की, बल्कि वैक्सीन निर्माण कर अनेक देशों को भी सुरक्षित किया।