माउंट एवरेस्ट और माउंट किलिमंजारो अभियान पूरा करके लौटे पर्वतारोही, रक्षा सचिव ने किया स्‍वागत

नई दिल्ली :​ माउंट एवरेस्ट ​और माउंट किलिमंजारो अभियान​ पूरा करके पर्वतारोहियों का ​दल गुरुवार को दिल्ली लौट आया, जहां साउथ ब्लॉक में रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह ने पर्वतारोहियों का स्वागत किया।​ माउंट एवरेस्ट अभियान​ के दल ने खुम्बू घाटी से होते हुए 23 मई को विश्व की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई की।​ इसी तरह अफ्रीका की सबसे ऊंची चोटी​ माउंट किलिमंजारो​ पर 8 अगस्त, 2024 को अभियान दल ने सबसे बड़ा राष्ट्रीय ध्वज फहराकर विश्व रिकॉर्ड बनाया​ था।

माउंट एवरेस्ट और माउंट किलिमंजारो के पर्वतारोहण अभियानों का​ दल दिल्ली लौटा।​ रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह ने ​गुरुवार को साउथ ब्लॉक में औपचारिक रूप से स्वागत किया। माउंट एवरेस्ट का यह अभियान उत्तरकाशी​ के नेहरू पर्वतारोहण संस्थान की ओर से दार्जिलिंग​ के हिमालयन पर्वतारोहण संस्थान और जम्मू और कश्मीर​ के जवाहर पर्वतारोहण एवं शीतकालीन खेल संस्थान के सहयोग से किया गया था। ​इसी तरह अफ्रीका की सबसे ऊंची चोटी​ माउंट किलिमंजारो का अभियान हिमालयन पर्वतारोहण संस्थान ​ने आयोजित किया था।​ इस अभियान में दिव्यांग उदय कुमार भी शामिल थे​, जिनका घुटने के नीचे ​का हिस्सा 91 प्रतिशत ​तक प्रभावित था।

रक्षा सचिव ने अपने संबोधन में दोनों दलों के अदम्य साहस, दृढ़ संकल्प और साहस की सराहना करते हुए इस बात पर बल दिया कि ये मिशन केवल चोटियों पर चढ़ाई करने के संदर्भ में नहीं थे, बल्कि साहसिक खेलों में भारत की पर्वतारोहण उत्कृष्टता और नेतृत्व को प्रदर्शित करने से भी जुड़े थे। उन्होंने कहा कि माउंट एवरेस्ट और माउंट किलिमंजारो पर सफलतापूर्वक चढ़ाई करके इन दलों ने देश और दुनिया भर के युवा पर्वतारोहियों को प्रेरित करने के लिए नए मानक स्थापित किए हैं।​ उन्होंने रक्षा मंत्रालय के ​चारों संस्थानों और राष्ट्रीय पर्वतारोहण एवं साहसिक खेल संस्थान (निमास) को इस दृष्टिकोण का ज्वलंत उदाहरण बताया।

माउंट एवरेस्ट अभियान का नेतृत्व नेहरू पर्वतारोहण संस्थान के प्रधानाचार्य कर्नल अंशुमान भदौरिया ने किया। दल के अन्य सदस्यों में कर्नल हेम चंद्र सिंह (उप-प्रमुख) और तीनों संस्थानों के प्रशिक्षक राकेश सिंह राणा, सूबेदार बहादुर पाहन, हवलदार राजेंद्र मुखिया, एनके थुपस्तान त्सावांग और पासंग तेनजिंग शेरपा शामिल थे।​ इस दल ने खुम्बू घाटी से होते हुए 23 मई को विश्व की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई की। इस अभियान का उद्देश्य प्रशिक्षकों को एवरेस्ट का प्रत्यक्ष अनुभव प्रदान करना था, जिससे वे पर्वतारोहियों की भावी पीढ़ियों को प्रेरित और प्रशिक्षित कर सकें।

माउंट किलिमंजारो अभियान​ का नेतृत्व हिमालयन पर्वतारोहण संस्थान के प्रधानाचार्य ग्रुप कैप्टन जय किशन ने किया। दल के अन्य सदस्यों में कैप्टन श्रुति, सब-इंस्पेक्टर महेंद्र कुमार यादव, पावेल शर्मा और कुमारी सुलक्षणा तमांग थे।​ इस दल ने 8 अगस्त, 2024 को माउंट किलिमंजारो पर सबसे बड़ा राष्ट्रीय ध्वज फहराकर विश्व रिकॉर्ड बनाया। इसके बाद इस दल ने तंजानिया के दार-ए-सलाम के पास हिंद महासागर में 35 फीट की गहराई पर पानी के भीतर राष्ट्रीय ध्वज फहराया। उसके बाद अफ्रीकी महाद्वीप पर किसी दिव्यांगजन दल ने पहली बार टेंडम स्काई​ डाइविंग की। इस अभियान ने थल, जल और वायु तीनों क्षेत्रों में महत्वपूर्ण उपलब्धि के मानक स्थापित करते हुए यह सिद्ध किया कि कोई भी सीमा पहुंच से परे नहीं है।

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