अमेरिका की एक अदालत ने भारतीय मूल के उस चिकित्सक के खिलाफ लगे लगभग सभी आरोप हटा दिये हैं जिस पर आरोप था कि उसने कम आयु की कम से कम नौ अल्प आयु लड़कियों का खतना किया. अदालत ने फैसला दिया कि इस प्रथा को लेकर अमेरिका का कानून असंवैधानिक है. गत वर्ष अप्रैल में जुमना नागरवाला (एमडी), फखरूद्दीन अत्तार (एमडी) और उसकी पत्नी फरीदा अत्तार (सभी मिशिगन निवासी) को एक ग्रैंड जूरी ने अमेरिका में नाबालिग लड़कियों का खतना करने के लिए अभ्यारोपित किया था. यह इस ‘‘क्रूर प्रथा’’ के लिए अपने तरह का पहला संघीय अभियोजन था. संघीय प्राधिकारियों ने कहा कि इसे अमेरिका में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. 
यद्यपि संघीय सरकार को तब बड़ा झटका लगा जब अमेरिकी जिला न्यायाधीश बर्नार्ड फ्रेडमैन ने इस सप्ताह फैसला सुनाया कि अमेरिका का खतना कानून असंवैधानिक है. इससे मिशिगन निवासी वे सभी चिकित्सकों के खिलाफ सभी आरोप खारिज हो गए जिन पर कम से कम नौ नाबालिग लड़कियों का खतना करने का आरोप था. न्यायाधीश के फैसले ने तीन माताओं के ऊपर लगे आरोप भी खारिज हो गए जिनके बारे में अभियोजकों का कहना था कि उन्होंने अपनी सात वर्षीय पुत्रियों को इस भ्रम में रखा कि वे एक सप्ताहांत के लिए डेट्रायट जा रही हैं. यद्यपि वे उन्हें खतना कराने के लिए लिवोनिया क्लीनिक ले गई.
मानवाधिकारों की पैरवी करने वाले एएनए फाउंडेशन ने फ्रेडमैन के फैसले पर हैरानी जतायी और कहा कि खतना को 1996 से अपराध करार देने वाला संघीय कानून को खारिज किया जाना इस देश में लड़कियों के अधिकारों के लिए एक गंभीर झटका है.
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