राहुल गांधी ने तथ्यों के साथ चुनाव आयोग पर सवाल उठाए : गौरव गोगोई

नई दिल्ली : कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए हैं। समाचार एजेंसी आईएएनएस से बातचीत में उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी की ओर से मतदाता सूची में हेरफेर के आरोपों पर चुनाव आयोग का जवाब ईसीआई की हिचकिचाहट और बेचैनी को दर्शाता है। राहुल गांधी ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में तथ्यों के साथ सवाल उठाए, लेकिन आयोग स्पष्ट जवाब देने के बजाय और सबूत मांग रहा है, जिसे मौजूदा समय में किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने मतदाता सूची में अनियमितताओं के सबूत देश के सामने रखे हैं। अगर आयोग के पास इसके विपरीत कोई तथ्य हैं, तो उसे सार्वजनिक करना चाहिए। क्या राहुल गांधी द्वारा दी गई जानकारी उनकी वेबसाइट से नहीं ली गई? आयोग का बार-बार सबूत मांगना सच्चाई को छिपाने की कोशिश जैसा लगता है, क्योंकि सारा सच देश के सामने है। कुछ लोग सोच रहे हैं कि वे इस लोकतांत्रिक व्यवस्था के तहत लोगों को गुमराह करने की कोशिश में सफल रहेंगे, लेकिन मैं एक बात स्पष्ट करना चाहता हूं कि उनकी यह कोशिश किसी भी कीमत पर सफल होने वाली नहीं है।

गौरव गोगोई ने जोर देकर कहा कि चुनाव आयोग को निष्पक्ष और पारदर्शी रुख अपनाना चाहिए। आधुनिक भारत में एक ऐसा चुनाव आयोग होना चाहिए जो सभी के प्रति निष्पक्ष हो और लोकतंत्र की गरिमा को बनाए रखे। चुनाव आयोग राहुल गांधी के सवालों का स्पष्ट जवाब दे और मतदाता सूची में हेरफेर के आरोपों की निष्पक्ष जांच करे।

बता दें कि सात अगस्त को लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर चुनाव आयोग पर निशाना साधा। उन्होंने महाराष्ट्र के चुनाव का डेटा दिखाकर आरोप लगाया कि राज्य विधानसभा चुनाव में धांधली हुई है और 40 लाख वोट रहस्यमयी तरीके से जोड़े गए।

लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में अनियमितताओं का गंभीर आरोप लगाया। उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था, महाराष्ट्र में 5 महीनों में लाखों मतदाताओं के नाम सूची में जोड़े गए, जो काफी चिंताजनक है। नए मतदाताओं के जुड़ने से हमारा संदेह बढ़ा और फिर शाम 5 बजे के बाद मतदान में भारी बढ़ोतरी देखी गई। लोकसभा चुनाव में हमारे गठबंधन की शानदार जीत हुई, लेकिन विधानसभा चुनाव में हमारे गठबंधन को पूरी तरह हार का सामना करना पड़ा, जो बहुत संदिग्ध है।

उन्होंने कहा था, हमारे विश्लेषण में पता चला कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव के बीच एक करोड़ नए मतदाता जुड़ गए। हमने इस मुद्दे को चुनाव आयोग के सामने उठाया और एक लेख लिखा, जिसमें हमारा मुख्य तर्क था कि महाराष्ट्र का चुनाव चोरी किया गया।

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