H-1B वीजा के नियमों में बदलाव करने जा रहे हैं ट्रंप, भारतीयों की बढ़ेगी मुश्किल, जानें कैसे

H-1B Visa Rule Change: डोनाल्ड ट्रंप जब से अमेरिका की सत्ता में दोबारा से वापस आए हैं. तभी से लगातार नियमों में बदलाव कर रहे हैं. पहले अवैध अप्रवासियों को देश से बाहर निकालने और उसके बाद दुनियाभर के देशों पर भारी-भरकम टैरिफ लगाकर ट्रंप ने तमाम देशों के लिए मुश्किलें पैदा कर दी हैं. अब ट्रंप प्रशासन मौजूदा लॉटरी-आधारित एच-1बी वीज़ा नीति में बड़े बदलाव की तैयारी कर ली है.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, जिसे लेकर व्हाइट हाउस के सूचना एवं नियामक मामलों के कार्यालय ने एक प्रस्तावित नियम को मंज़ूरी दे दी है. जिसके तहत विशिष्ट क्षेत्रों में विदेशी कर्मचारियों को एच-1बी वीज़ा आवंटित करने के तरीके को नया रूप दे सकता है. इस नियम के जल्द ही सार्वजनिक होने की उम्मीद है. मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, नया वेतन-आधारित नियम अंतरराष्ट्रीय उम्मीदवारों, खासकर भारत के उम्मीदवारों के लिए परेशानी का सबब बन सकता है, क्योंकि इस नियम के लागू होने से शुरुआती स्तर की कम वेतन वाली नौकरियों को प्राथमिकता नहीं मिल पाएगी.

लॉटरी से वेतन-आधारित चयन की ओर बदलाव
इस प्रस्ताव के तहत, आवेदकों को उनके नौकरी आवेदनों में दिए गए वेतन के आधार पर प्राथमिकता दी जाएगी. रिपोर्ट के मुताबिक, जिसके तहत उच्च वेतन वाले पदों को प्राथमिकता दी जाएगी. जिसका उद्देश्य अमेरिकी कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना और यह सुनिश्चित करना है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था को महत्वपूर्ण लाभ पहुंचाने वाली भूमिकाओं के लिए वीज़ा मिले.

रिपोर्ट के मुताबिक, वर्तमान में एच-1बी कार्यक्रम की वार्षिक सीमा 85 हजार वीजा है. जिसे पाने के लिए उम्मीदवारों का चयन एक लॉटरी के माध्यम से किया जाता है. 2021 में, होमलैंड सुरक्षा विभाग (DHS) ने लॉटरी की जगह चार-स्तरीय वेतन-आधारित प्रणाली को लागू करने का सुझाव दिया था. जिसे ट्रंप प्रशासन ने “अमेरिकी खरीदें, अमेरिकी को काम पर रखें” पहल के तहत अपनाया गया था, जिसका उद्देश्य उच्च वेतन वाले, उच्च कुशल विदेशी श्रमिकों को लाभ पहुंचाना था.

बाइडेन प्रशासन को करना पड़ा था आलोचना का सामना
बता दें कि इससे पहले बाइडेन के कार्यकाल के दौरान भी वेतन-प्राथमिकता प्रणाली में बदलाव की कोशिश की गई थी. जिसके चलते उन्हें कानूनी और सार्वजनिक प्रतिरोध का सामना करना पड़ा था. तब ये कहा गया था कि इससे विदेशी कर्मचारियों, खासकर नए स्नातकों की भर्ती में भारी कमी आ सकती है. बता दें कि बाइडेन प्रशासन ने 2021 में इस योजना को वापस ले लिया गया था. संघीय अदालतों ने भी योग्य व्यवसायों को सीमित करने और वेतन आवश्यकताओं को बढ़ाने के पहले के प्रयासों को रोक दिया था.

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