अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने आपको दुनिया का बॉस मानते हैं. अब तक वह कई देश में टैरिफ लगा चुके हैं. हर देश के लिए उनके पास अलग तरह के तर्क हैं. ट्रंप का कहना की भारत पर 50 फीसदी का टैरिफ इसलिए लगाया ताकि भारत रूस से कच्चा तेल लेना बंद करे. इसे रोकने से रूस को आर्थिक नुकसान होगा और वह युक्रेन युद्ध को खत्म करेगा. वहीं सूत्रों का कहना है कि यह टैरिफ भारतीय बाजार में अमेरिकी पैठ बनाने को लेकर लगाया गया है. इस तरह से अमेरिका दोहरा फायदा लेने की कोशिश में है. अमेरिका इस कोशिश को नाकाम करने के लिए अब ब्रिक्स देशों ने कमर कस ली है. इन देशों की ताकत अब अमेरिका पर कड़ा प्रहार कर सकती है. आपको बता दें कि ब्रिक्स देशों में भारत, चीन अमेरिका, रूस, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका जैसे देश हैं जिन पर ट्रंप ने भारी भरकम टैरिफ लगाया है. अब इन देशों ने पलटवार का मन बना लिया है.
ट्रंप का टैरिफ बम
ट्रंप ने इन देशों पर भारी भरकम टैरिफ लगाया है. भारत और ब्राजील पर 50 प्रतिशत टैरिफ, चीन पर 30 प्रतिशत, रूस पर 100 प्रतिशत का टैरिफ लगाया है. ट्रंप का कहना है कि यह टैरिफ उन राष्ट्रों को रोकने के लिए है जो रूस की मदद कर रहे हैं. यूक्रेन और रूस का युद्ध अभी भी जारी है. अमेरिका का कहना है कि इस कदम से उसका व्यापार घाटा कम होगा. इसके साथ रूस की अर्थव्यवस्था पर गहरा असर होगा. इस तरह से यूक्रेन युद्ध का अंत हो जाएगा.
इस टैरिफ से तंग आकर अब इन देशों ने एकसाथ बनाने का मन बना लिया है. यह देश मिलकर ट्रंप की दादागिरी का जवाब देंगे. यह देश डॉलर को चुनौती देने के लिए कदम उठा रहे हैं. ब्रिक्स देशों की संयुक्त जीडीपी 26.6 ट्रिलियन डॉलर तक है. यह अमेरिकी की 27.36 ट्रिलियन डॉलर के आसपास है. इन लोगों की वैश्विक जीडीपी में 35.6 प्रतिशत का योगदान है. विश्व व्यापार में एक चौथाई हिस्सेदारी ट्रंप के लिए खतरे की घंटी है.
अमेरिका को अपने कदम पीछे खींचने होंगे
ब्रिक्स देशों में ब्राजील के राष्ट्रपति लूला डी सिल्वा ने अमेरिकी नीति की कड़ी आलोचना की है. उनका कहना है कि वह ट्रंप से सीधे बात नहीं करने के मूड में नहीं हैं. उन्होंने कहा कि वह अपनी अपमान नहीं सहेंगे. उन्होंने भारत से 2030 तक व्यापार को 20 अरब डॉलर तक ले जाने की उम्मीद जताई है. वहीं चीन ने भी भारत का समर्थन किया है. उसका कहना है कि वह यह अन्यायपूर्ण रणनीति है. जल्द पीएम मोदी एससीओ की बैठक में चीन जाने वाले हैं. वहीं रूस मास्टरस्ट्रोक की तैयारी में हैं. वह पहले भी ब्रिक्स करेंसी की बात कर चुका है. उसका कहना है कि डॉलर का वर्चस्व को खत्म करने के लिए इस तरह की पहल बहुत जरूरी है. ऐसे में आने वाले समय में ब्रिक्स देशों का संगठन अमेरिका पर भारी पड़ने वाला है. ट्रंप को अपने कदम या पीछे खींचने होंगे नहीं तो उन्हें भारी नुकसान झेलना पड़ सकता है.