मंगलुरु (कर्नाटक) : विधायकों, सांसदों, और एमएलसी सहित राज्य भाजपा के नेताओं ने रविवार सुबह धर्मस्थल स्थित मंदिर का दौरा किया। सभी ने कथित सामूहिक कब्र मामले को लेकर चल रहे दुष्प्रचार की निंदा की। धर्मस्थल चलो अभियान का समापन करते हुए कहा कि प्रदेश के मुखिया सिद्दारमैया माफी मांगें।
भाजपा की राज्य ईकाई ने धर्माधिकारी और भाजपा के राज्यसभा सदस्य डी. वीरेंद्र हेगड़े से भी मुलाकात की और सामूहिक कब्र मामले से जुड़े घटनाक्रम पर चर्चा की।
भाजपा ने मांग की कि मुख्यमंत्री सिद्दारमैया दुष्प्रचार को रोकने में नाकाम रहे। सरकार अपनी निष्क्रियता के लिए करोड़ों श्रद्धालुओं से माफी मांगे। उन्होंने उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार को धर्मस्थल के खिलाफ साजिश का पर्दाफाश करने की चुनौती भी दी।
प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और विधायक बी.वाई. विजयेंद्र ने किया। पार्टी ने सामूहिक कब्र मामले की पृष्ठभूमि में धर्मस्थल के बारे में लगातार फैलाई जा रही गलत सूचनाओं की निंदा करते हुए शनिवार सुबह धर्मस्थल चलो अभियान शुरू किया था। येलहंका के विधायक एस.आर. विश्वनाथ के नेतृत्व में भाजपा नेताओं का एक दल शनिवार रात 300 वाहनों में सवार हो धर्मस्थल पहुंचा।
विधान परिषद में विपक्ष के नेता चलवाडी नारायणस्वामी, भाजपा सांसद, तटीय क्षेत्र के विधायक, विधान पार्षद, राज्य और जिला पदाधिकारी और अन्य प्रमुख नेताओं ने भी मंदिर जाकर दर्शन किए।
धर्मस्थल में मीडिया से बात करते हुए, विजयेंद्र ने कहा, मैं मुख्यमंत्री सिद्दारमैया से आग्रह करता हूं कि इस संबंध में झूठे प्रचार को रोकने में विफल रहने के लिए राज्य की जनता से माफ़ी मांगें। भाजपा इस मुद्दे पर राजनीति नहीं कर रही है। धर्मस्थल के भगवान मंजूनाथ और अन्नप्पा स्वामी में आस्था रखने वाले करोड़ों भक्तों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने की यह एक साजिश है।
उन्होंने आगे कहा, मीडिया को दो बातों पर ध्यान देना चाहिए। पहला, जब मंगलुरु जिले के प्रभारी मंत्री दिनेश गुंडू राव ने दावा किया कि वामपंथी समूहों के दबाव में एसआईटी का गठन किया गया था, और दूसरा, जब उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार ने स्वयं कहा कि सामूहिक कब्र मामले के पीछे एक बड़ी साजिश है।
उन्होंने कहा, हम यहां इसलिए हैं क्योंकि जांच के बहाने एक बदनाम करने वाला अभियान चलाया जा रहा है। इस दुष्प्रचार को किसे रोकना चाहिए था? यह राज्य सरकार की जिम्मेदारी थी। झूठे प्रचार को रोकने में विफल रहकर, राज्य सरकार ने एक अपराध किया है।
विजयेंद्र ने पूछा, कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार के मंत्री दिनेश गुंडू राव के इस बयान पर क्या प्रतिक्रिया है कि एसआईटी वामपंथी समूहों के दबाव में बनाई गई थी, और उपमुख्यमंत्री शिवकुमार के इस बयान पर कि धर्मस्थल के खिलाफ एक साजिश है?
मैं एक बार फिर स्पष्ट करता हूं कि भाजपा धर्मस्थल मुद्दे पर राजनीति नहीं कर रही है। लेकिन करोड़ों श्रद्धालुओं को ठेस पहुंचाने की साजिश का क्या? राज्य सरकार इस पर कार्रवाई क्यों नहीं कर रही है? उपमुख्यमंत्री शिवकुमार ने कहा है कि सही समय पर साजिश का पर्दाफाश किया जाएगा। वह समय कब आएगा? यह झूठा प्रचार कब तक चलता रहेगा?
उन्होंने कहा, राज्य की जनता सवाल पूछ रही है। राज्य सरकार को जवाब देना चाहिए। जो लोग आरोप लगा रहे हैं, उनके साथ-साथ उनके पीछे की ताकतों की भी जांच होनी चाहिए।
उन्होंने कांग्रेस सरकार को चुनौती देते हुए कहा, उपमुख्यमंत्री शिवकुमार एक जिम्मेदार पद पर हैं। वह खुद दावा करते हैं कि यह एक साजिश है और कहते हैं कि वह धर्मस्थल के भगवान मंजूनाथ के अनन्य भक्त हैं। अगर वह सच्चे भक्त हैं, तो बिना देर किए उन्हें इस साज़िश का पर्दाफ़ाश करना चाहिए और बताना चाहिए कि इसके पीछे कौन है।
अगर भाजपा को इस मुद्दे पर राजनीति करनी होती, तो आज तक इंतजार करने की जरूरत नहीं थी। करोड़ों भक्त दुःखी हैं।
भाजपा नेताओं ने दोहराया कि पार्टी शुरू से ही एसआईटी जांच का स्वागत करती रही है। उन्होंने मांग की कि सरकार अंतरिम रिपोर्ट विधानसभा में पेश करे और पवित्र तीर्थस्थल के बारे में फैलाए जा रहे झूठे प्रचार की गहन जांच करे।
विजयेंद्र ने कहा, हमने धर्माधिकारी वीरेंद्र हेगड़े से मुलाकात की। उन्होंने भी एसआईटी जांच का स्वागत किया है। हालांकि उन्होंने सोशल मीडिया पर चल रहे दुष्प्रचार के बारे में कुछ नहीं कहा, लेकिन वे बहुत आहत हैं। हमारा मुख्य उद्देश्य हिंदू धर्म और विरासत की रक्षा करना है। हम यह भी सुनिश्चित करना चाहते हैं कि करोड़ों श्रद्धालुओं की भावनाएं आहत न हों।
भाजपा ने कहा कि वह एसआईटी जांच का समर्थन करती है, बशर्ते वह पारदर्शी हो। विजयेंद्र ने कहा, हमारा हमेशा से यही मानना रहा है कि संदेह दूर होने चाहिए। लेकिन जांच के दौरान, सोशल मीडिया पर झूठा प्रचार और भ्रम फैलाया जा रहा है।
चालावादी नारायणस्वामी ने कहा, हमने वीरेंद्र हेगड़े से मुलाकात की है, और वे इन घटनाक्रमों से आहत हैं। धर्मस्थल के श्रद्धालुओं का भी यही दर्द है। सच तो यह है कि यहां कुछ भी नहीं मिला है और आरोप झूठे निकले हैं।