कांग्रेस शासन के लंबे दौर में असम हाशिए पर धकेल दिया गया : सोनोवाल

नई दिल्ली : केंद्रीय बंदरगाह, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने आराेप लगाया कि कांग्रेस शासन के लंबे दौर में समृद्धि में राष्ट्रीय औसत में आगे रहने वाले असम को हाशिए पर धकेल दिया गया जबकि मोदी सरकार में पूर्वोत्तर भारत ने सात दशकाें के उपेक्षाकाल से निकलकर विकास, गरिमा और अवसरों का नया “इंजन” बनने की असाधारण यात्रा तय की है।

सोनोवाल ने शनिवार को एक्स पर एक प्रमुख अंग्रेजी अखबार में प्रकाशित अपने लेख को साझा करते हुए कहा कि सूर्योदय का पहला दृश्य देखने वाले पूर्वोत्तर के राज्य स्वतंत्रता के बाद के सात दशकों तक राष्ट्रीय प्राथमिकता में नहीं रहे। उन्हाेंने आराेप लगाया कि कांग्रेस शासन के लंबे दौर में कभी समृद्धि में राष्ट्रीय औसत से आगे रहा असम हाशिए पर धकेल दिया गया। लेख में उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में क्षेत्र को उपेक्षा के दौर से देश की विकास यात्रा का नया इंजन बनाने की सराहना की और इसे असाधारण परिवर्तन का दशक करार दिया।

सोनोवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री का भारत रत्न डॉ. भूपेन हजारिका की जन्म शताब्दी समारोहों के दाैरान असम आगमन “एक घटना” ना हाेकर पूर्वोत्तर के लोगों से उनके गहरे सम्बंधाें का परिचायक है।

उन्हाेंने कहा, “विभाजन के दौरान असम की पहचान संकट में पड़ी और 1962 के युद्ध में उसे केवल ऊपरी सहानुभूति मिली। साथ ही लोकप्रिय गोपीनाथ बोरदोलोई और डॉ. भूपेन हजारिका जैसे नायकों को मान्यता में देरी हुई। यहां तक कि असमिया भाषा को शास्त्रीय दर्जा में भी देरी हुई जो राज्य के प्रति गहरी उदासीनता को दर्शाता है।” उन्हाेंने कहा कि आज प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में यह अंधेरा समाप्त हो चुका है और पूर्वोत्तर विकास, गरिमा और अवसरों की धूप में नहा रहा है।

केंद्रीय मंत्री सोनोवाल ने 2014 से मोदी के साथ अपने निकट सहयोग का जिक्र करते हुए 2015 के दक्षिण एशियाई खेलों का उदाहरण दिया जब विपक्षी दलाें के शासन के बावजूद मोदी की प्रेरणा से गुवाहाटी अंतरराष्ट्रीय खेल का केंद्र बना। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री 18 घंटे की मेहनत से शासन संस्कृति को गतिमान बनाते हैं जिसमें पूर्वोत्तर हमेशा विशेष स्थान रखता है। विभाजन के घावों और 1962 के युद्ध में पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की दूरस्थ टिप्पणियों से उपेक्षित क्षेत्र अब ‘अष्टलक्ष्मी’ के रूप में पुनर्स्थापित हो रहा है।

उन्हाेंने कहा कि कनेक्टिविटी क्रांति से 11,000 किलोमीटर से अधिक राजमार्ग, मणिपुर, मिजोरम और अरुणाचल प्रदेश को रेल से जोड़ना, बोगीबील पुल और सेला टनल जैसी परियाेजनांए भूगोल बदल रही हैं। ब्रह्मपुत्र को राष्ट्रीय जलमार्ग के रूप में पुनर्जीवित कर व्यापार बढ़ रहा है। राज्य का मुख्यमंत्री रहते समय मैंने प्रधानमंत्री मोदी के सुझाव पर 10 करोड़ पौधे लगाए थे जिसके सुखद परिणाम दिख रहे हैं। उन्हाेंने बताया कि राज्य का गैंडा संरक्षण मिशन वैश्विक मॉडल बना।

उन्होंने आर्थिक पुनर्जागरण में 2016 के भाजपा शासन के साथ ‘एडवांटेज असम’ निवेशक शिखर सम्मेलन का श्रेय प्रधानमंत्री को दिया जिसके कारण राज्य के प्रति पूर्वाग्रह टूटे एवं बुनियादी ढांचे और विनिर्माण में निवेश आया। उन्होंने कहा कि नुमालीगढ़ में भारत का पहला बांस-आधारित बायोरिफाइनरी, रिफाइनरी क्षमता में तिगुना इजाफा और जगिरोद में सेमीकंडक्टर इकाई से असम में संसाधन प्रदाता से हरित ऊर्जा और हाई-टेक विनिर्माण के क्षेत्र तें अग्रणी बन रहा है।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी का विकास संस्कृति से जुड़ा है। भूपेन हजारिका को भारत रत्न प्रदान कर असम के लाेगाें की आकांक्षा पूरी कर दी गई। साथ ही लचित बोरफूकन को राष्ट्रीय मंच पर लाकर गमछा पहनाना सांस्कृतिक सम्मान का प्रतीक है। उन्हाेंन कहा, “शांति के लिए बोडो, करबी और ब्रू-रेआंग समझौते, सशस्त्र बल विशेषाधिधार अधिनियम (एएफएसपीएए) की वापसी से संघर्ष समाप्त हुए। पूर्वोत्तर अब पूर्वी एशिया का रणनीतिक पुल है।”

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