नई दिल्ली : विदेश मंत्रालय ने कहा है कि भारत और सऊदी अरब की रणनीतिक साझेदारी काफी मजूबत है और हमें उम्मीद है कि आपसी हितों और संवेदनशीलताओं का ध्यान रखा जाएगा।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल की यह प्रतिक्रिया कल मंत्रालय की ओर से आई प्रतिक्रिया की तुलना में संक्षिप्त और हल्की है। कल मंत्रालय ने दोनों देशों के सैन्य समझौते को लेकर चिंता जताई थी। मंत्रालय ने कहा था कि इससे भारत के राष्ट्रीय हितों और क्षेत्रीय एवं वैश्विक स्थिरता प्रभावित होगी।
पाकिस्तान-सऊदी समझौते में प्रावधान है कि दोनों में से किसी एक पर हुए हमले को दोनों देशों पर आक्रमण माना जाएगा।
प्रवक्ता ने कहा, “भारत और सऊदी अरब के बीच व्यापक स्ट्रेटेजिक साझेदारी है जो पिछले कुछ वर्षों में काफ़ी गहरी हुई है। हम उम्मीद करते हैं कि हमारी स्ट्रेटेजिक साझेदारी में आपसी हितों और संवेदनशीलताओं को ध्यान में रखा जाएगा।”
प्रवक्ता से ईरान में चाहबहार बंदरगाह के संबंध में अमेरिकी प्रशासन के निर्णय के बारे में भी पूछा गया था। ट्रम्प प्रशासन की ओर से प्रतिबंध छूट समाप्त करने के बारे में प्रवक्ता ने कहा कि हम इसके प्रभावों का आकलन कर रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि भारत चाबहार बंदरगाह के बेहेश्ती खंड का संचालन कर रहा है। सरकारी कंपनी इंडिया पोर्ट ग्लोबल द्विपक्षीय समझौते के तहत बंदरगाह का संचालन कर रही है जो अफगानिस्तान और मध्य एशिया तक संपर्क के लिए बहुत उपयोगी है। ईरान के खिलाफ व्यापक प्रतिबंधों के बावजूद ट्रम्प प्रशासन के पहले दौर में भारत को चाहबहार के संबंध में प्रतिबंधों से छूट दी गई थी।
ट्रम्प प्रशासन का यह नया निर्णय 29 सितंबर से लागू होगा। भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने के बाद अमेरिकी प्रशासन की ओर से भारत के खिलाफ की गई यह एक ओर बड़ी कार्रवाई है। इसी बीच ट्रम्प प्रशासन के साथ व्यापार वार्ता भी जारी है। प्रवक्ता ने बताया कि सहायक यूएसटीआर ब्रेंडन लिंच के नेतृत्व में अमेरिका के व्यापार प्रतिनिधि की एक टीम ने 16 सितंबर को वाणिज्य मंत्रालय में अमेरिका के साथ व्यापार समझौते पर चल रही बातचीत को आगे बढ़ाने के लिए बैठकें कीं। चर्चाएं सकारात्मक और दूरदर्शी रहीं, जिनमें व्यापार समझौते के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा हुई। पारस्परिक रूप से लाभकारी व्यापार समझौते को शीघ्रता से संपन्न करने के प्रयासों को तेज़ करने का निर्णय लिया गया।