आबू रोड; ब्रम्हकुमारीज मुख्यालय में चल रहे राष्ट्रीय मीडिया सम्मेलन में विशेष संवाद सत्र में भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) के पूर्व महानिदेशक प्रोफेसर संजय द्विवेदी ने कहा कि यह कहना ग़लत है कि मीडिया पहले मिशन था और अब प्रोफेशन है। टीवी पत्रकार बीके ज्योति से बातचीत करते हुए प्रोफेसर द्विवेदी ने कहा कि कोई भी समय किसी भी विधा के सिद्धांतों को नहीं बदल सकता। कुछ लोगों के विचलन से मूल्य आधारित पत्रकारिता का मार्ग बंद नहीं होता। यह मिशन थी, है और रहेगी।
उन्होंने कहा कि चिकित्सा, शिक्षा, मीडिया जैसे सारे शास्त्र अंततः मिशन ही हैं। कुछ लोगों की बाजारु सोच से मूल्य और सिद्धांत नहीं बदलते। मूल्यनिष्ठा, संवेदनशीलता, जनहित और राष्ट्रीय हित इसकी कसौटी है।
प्रो.द्विवेदी का कहना था कि आजादी के आंदोलन के मूल्य ही भारतीय पत्रकारिता के मूल्य हैं, हमें वास्तविक स्वराज को लाने के लिए जतन करने होंगे। तभी भारतीय भाषाओं, वेशभूषा, स्वशासन और भारतीय पद्धतियों का सम्मान होगा। अभी हमारा देश तो स्वतंत्र है पर स्वराज अभी प्रतीक्षित है। उन्होंने जोर देकर कहा कि लोक-मंगल ही किसी भी विधा की कसौटी है। इसी में इसकी सार्थकता है।
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