नई दिल्ली : केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने मंगलवार को केंद्रीय पर्यवेक्षण बोर्ड (सीएसबी) की 31वीं बैठक की अध्यक्षता की। बैठक में पीसी एवं पीएनडीटी अधिनियम के तहत की गई प्रगति की समीक्षा की गई तथा लैंगिक भेदभाव और भ्रूण लिंग निर्धारण की रोकथाम के प्रति राष्ट्र की प्रतिबद्धता को दोहराया गया। इस बैठक में जेपी नड्डा ने सैंपल पंजीकरण सर्वेक्षण (एसआरएस) 2021–23 के आंकड़ों का उल्लेख करते हुए बताया कि भारत में जन्म के समय लिंगानुपात 917 महिलाओं प्रति 1000 पुरुष तक सुधरा है, और 12 राज्यों ने राष्ट्रीय औसत से बेहतर प्रदर्शन किया है। उन्होंने मध्य प्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक, उत्तराखंड और हरियाणा जैसे राज्यों के नवोन्मेषी प्रयासों—जैसे स्टिंग ऑपरेशन और राज्य टास्क फोर्स गठन—की सराहना की।
स्वास्थ्य मंत्री ने राज्य स्तर पर कार्यशालाएं और संवाद आयोजित करने की आवश्यकता पर जोर दिया ताकि डिजिटल युग की चुनौतियों जैसे ऑनलाइन विज्ञापन, पोर्टेबल डायग्नोस्टिक उपकरण और जीन परीक्षण से निपटा जा सके। उन्होंने जागरूकता, अनुभव-साझाकरण और अंतर-राज्यीय सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया।
बैठक में केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव पुन्या सलीला श्रीवास्तव ने महिलाओं और बच्चों के कल्याण को लेकर मंत्रालय की प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने बताया कि एसआरएस 2023 के अनुसार जन्म के समय लिंगानुपात 899 (2016–18) से बढ़कर 917 (2021–23) हुआ है।
उन्होंने पीसी और पीएनडीटी अधिनियम के कार्यान्वयन में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के संयुक्त प्रयासों को रेखांकित किया।
इस अवसर पर
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की राज्य मंत्री सवित्री ठाकुर ने लिंग चयन एवं भ्रूण हत्या को रोकने के लिए केंद्र सरकार के प्रयासों की सराहना की और कहा कि “हर बेटी का जन्म उत्सव मनना चाहिए।” उन्होंने “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” पहल की प्रभावशीलता को भी रेखांकित किया।
बैठक में सभी सदस्यों ने लैंगिक समानता और बालिका के संरक्षण के प्रति एकजुट संकल्प व्यक्त किया।
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