नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को राज्यसभा में नव-निर्वाचित सभापति और उपराष्ट्रपति सी.पी. राधाकृष्णन का स्वागत करते हुए उन्हें भारतीय लोकतंत्र की सशक्त मिसाल बताया। प्रधानमंत्री ने कहा कि सामान्य पृष्ठभूमि से राजनीतिक और सामाजिक जीवन के लंबे संघर्षों के बाद उपराष्ट्रपति पद तक पहुंचना लोकतांत्रिक व्यवस्था की वास्तविक शक्ति और उसकी समान अवसर देने की क्षमता का प्रतीक है।
प्रधानमंत्री ने शीतकालीन सत्र के पहले दिन राज्यसभा में कहा कि सभापति के रूप में सी.पी. राधाकृष्णन का सदन का नेतृत्व करना सभी सदस्यों के लिए गौरव का अवसर है। उन्होंने कहा, “आपके मार्गदर्शन में देश को प्रगति की राह पर ले जाने के लिए महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा, निर्णय और आपकी अमूल्य दिशा-ये सब हम सभी के लिए बहुत बड़ा अवसर है। सदन की ओर से और व्यक्तिगत रूप से मैं आपको हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं देता हूं।”
उन्होंने आशा व्यक्त की कि सदन के सभी सदस्य उच्च सदन की गरिमा और सभापति के पद की मर्यादा को सदैव बनाए रखेंगे।
प्रधानमंत्री मोदी ने राधाकृष्णन के सामाजिक और राजनीतिक सफर का उल्लेख करते हुए कहा कि वे एक किसान परिवार और अत्यंत सामान्य पृष्ठभूमि से आते हैं। समाज सेवा उनके जीवन की मूल भावना रही है और राजनीति उसमें एक पहलू मात्र रही। उन्होंने कहा कि युवावस्था से लेकर आज तक सभापति का समाज के प्रति समर्पण उन सभी के लिए प्रेरणा है जो सेवा कार्यों से जुड़े हैं।
मोदी ने कहा, “सामान्य परिवार और समाज से आपकी यात्रा यहां तक पहुंची है। यह हम सभी को मार्गदर्शन देती है और भारत के लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत को प्रकट करती है।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि राधाकृष्णन ने कभी आसान रास्ता नहीं चुना। आपातकाल के दौरान उन्होंने लोकतंत्र की रक्षा के लिए साहस और दृढ़ता के साथ संघर्ष किया। उन्होंने कहा, “वह लड़ाई अलग तरह के साहस की थी। उस कठिन दौर में जिस मजबूती से आप डटे रहे, वह उन सभी के लिए प्रेरक अध्याय है जो लोकतंत्र को महत्व देते हैं।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि सभापति का जन्म ‘डॉलर सिटी’ के नाम से पहचाने जाने वाले शहर में हुआ, परंतु इसके बावजूद उन्होंने अपने जीवन का मार्ग अंत्योदय—यानी सबसे अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति की सेवा- को बनाया। उन्होंने हमेशा दबे-कुचले और हाशिये पर खड़े समाज के वर्गों की चिंता की।
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में राधाकृष्णन के जीवन से जुड़ी दो घटनाओं का खास तौर पर उल्लेख किया, जिन्हें उन्होंने प्रेरणादायक बताया।
पहली घटना के बारे में उन्होंने कहा कि बचपन में अविनाशी मंदिर के तालाब में डूबने से बाल-बाल बचने के अनुभव ने उनके मन में यह विश्वास भरा कि उनका जीवन ईश्वर की कृपा से बचा है और किसी विशेष उद्देश्य के लिए मिला है।
दूसरी घटना कोयंबटूर में हुए भीषण बम धमाके से जुड़ी थी, जिसमें लगभग 60–70 लोगों की मृत्यु हुई थी। प्रधानमंत्री ने कहा कि राधाकृष्णन उस घटना में चमत्कारिक रूप से बच गए थे और इस अनुभव ने भी उनके जीवन की दिशा पर गहरा प्रभाव डाला।
प्रधानमंत्री ने राधाकृष्णन के काशी दौरे का उल्लेख करते हुए बताया कि वहां पूजा के बाद उनके मन में आया संकल्प इतना मजबूत था कि उन्होंने उसी दिन से नॉन-वेजिटेरियन भोजन छोड़ने का निर्णय लिया। उन्होंने कहा, “मैं यह नहीं कह रहा कि नॉन-वेजिटेरियन होना गलत है लेकिन काशी की धरती ने उनके मन में यह बदलाव जगाया।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि राधाकृष्णन से उनका सार्वजनिक जीवन में लंबे समय का जुड़ाव रहा है। उन्होंने कहा कि जिम्मेदारियों पर काम करते हुए सभापति के सेवा, समर्पण और संयमपूर्ण व्यक्तित्व ने हमेशा सकारात्मक ऊर्जा दी
है।
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