ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान अपना बंदरगाह छोड़ने की हिम्मत नहीं जुटा पाया : नौसेना प्रमुख

नई दिल्ली : नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी ने मंगलवार को कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान आक्रामक रवैया और कैरियर बैटल ग्रुप की तैनाती के तुरंत एक्शन ने पाकिस्तानी नौसेना को अपने बंदरगाह तक सीमित रहने के लिए मजबूर कर दिया था। उन्होंने उम्मीद जताई कि 2029 तक हमें फ्रांस से चार राफेल मरीन का पहला सेट मिल जाएगा। एडमिरल त्रिपाठी ने एक साल की उपलब्धियों के बारे में कहा कि पिछले नौसेना दिवस के बाद से हमने एक सबमरीन और 12 वॉरशिप को कमीशन किया है। आईएनएस उदयगिरि हमारा 100वां वॉरशिप था, जिसे हमारे अपने ब्यूरो ने डिजाइन किया था।

 

सालाना प्रेस कॉन्फ्रेंस में नौसेना प्रमुख ने मई में हवाई संघर्ष के दौरान पाकिस्तानी नौसेना को शांत रखने के लिए कैरियर बैटल ग्रुप की तैनाती को भी क्रेडिट दिया। उन्होंने दोहराया कि ऑपरेशन सिंदूर अभी भी चल रहा है और असल में खत्म नहीं हुआ है। ऑपरेशन सिंदूर ने पाकिस्तान पर आर्थिक दबाव डाला है, क्योंकि लड़ाई के बाद बड़ी संख्या में मर्चेंट जहाजों ने उस देश की यात्रा करने से परहेज किया है। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत ने इस्लामाबाद के सैन्य ढांचे को नष्ट कर दिया था, इसलिए पाकिस्तान जाने वाले जहाजों के इंश्योरेंस का खर्च भी बढ़ गया है। त्रिपाठी ने बताया कि भारतीय नौसेना अगले दशक में अपने रणनीतिक लक्ष्यों की साफ समझ के साथ आगे बढ़ रही है।

 

भारतीय नौसेना की प्रमुख उपलब्धियों के बारे में उन्होंने कहा कि नौसेना ने एक साल के भीतर लगभग 11 हजार शिप डे और 50 हजार फ्लाइंग घंटे पूरे किए हैं और यह सिलसिला जारी है। हमने 2008 से लगातार अदन की खाड़ी में एक शिप तैनात कर रखा है। जहाज को एंटी पायरेसी ड्यूटी के लिए स्टेशन पर रिलीव किया जाता है। आज तक इसके लिए 138 शिप तैनात किए गए हैं और उन्होंने सभी देशों और क्रू के 3,700 से ज़्यादा मर्चेंट वेसल को सफलतापूर्वक एस्कॉर्ट किया है। उन्होंने बताया कि 23 नवंबर से रेड सी संकट शुरू होने से पायरेसी की घटनाएं बढ़ गईं और हमने 62 समुद्री लुटेरों को पकड़ा है। खासकर हूथी उग्रवादियों जैसे नॉन-स्टेट एक्टर्स की बढ़ती एक्टिविटी के कारण हमारे 40 कैपिटल शिप, उनके ज़रूरी एसेट्स (हेलीकॉप्टर वगैरह) और कैपेबिलिटी के साथ तैनात किए गए हैं।

 

उन्होंने एक सवाल के जवाब में बताया कि भारतीय नौसेना ने 376 मर्चेंट वेसल पर 152 लाख मीट्रिक टन कार्गो की सुरक्षित आवाजाही करवाई है, जिसकी कीमत 6.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर से ज्यादा है। हमने इस दौरान 30 से ज्यादा घटनाओं पर भी कार्रवाई की है और समुद्र में 520 से ज्यादा जानें बचाई हैं। हमारे एक जहाज को पिछले साल समुद्र में किए गए ऑपरेशन के लिए इंटरनेशनल मैरीटाइम ऑर्गनाइजेशन से तारीफ का लेटर मिला था, जब उसने ओमान के मोटर टैंकर प्रेस्टीज फाल्कन के नौ क्रू मेंबर को बचाया था। मुझे ओमान नेवी के चीफ से भी एक थैंक-यू लेटर मिला था। वर्ष 2008 से अदन की खाड़ी में 138 वॉरशिप तैनात किए गए हैं और उन्होंने 7800 मर्चेंट जहाजों को सुरक्षित तरीके से एस्कॉर्ट किया है।

 

एडमिरल त्रिपाठी ने कहा कि जहां तक एंटी-नारकोटिक ऑपरेशन की बात है, तो हमारी यूनिट्स ने दूसरी नेशनल एजेंसियों के साथ मिलकर पिछले साल 43,300 करोड़ रुपये का प्रतिबंधित सामान जब्त किया है। उन्होंने कहा कि हम फर्स्ट रेस्पॉन्डर के तौर पर अपनी ड्यूटी बहुत अच्छे से कर रहे हैं और हमें इस पर बहुत गर्व है। 21 मार्च को हमारे हेलीकॉप्टर ने एमवी हीलन स्टार से गोवा तक 3 मेडिकल इमरजेंसी केस को बचाया या निकाला। एक हफ़्ते बाद 28 मार्च को हमारे पड़ोसी मित्र देश म्यांमार में आए भयानक भूकंप की वजह से भारत सरकार ने ऑपरेशन ब्रह्मा शुरू किया, जिसमें तुरंत मदद की गई। पांच जहाज तैयार करके 48 घंटों के अंदर 500 मीट्रिक टन से ज्यादा राहत का सामान पहुंचाया।

 

समुद्र में सहायता देने वाले ऑपरेशन के बारे में जानकारी देते हुए नौसेना प्रमुख ने कहा कि हमने 25 मई को समुद्र में डूबे हुए टैंकर एमएससी से तीन क्रू मेंबर को बचाया। नौ जून को हमने सिंगापुर के टैंकर और एमवी वान हाई 503 से 18 क्रू मेंबर को निकाला। श्रीलंका में चक्रवात ‘दित्वा’ के बाद चलाये गए ऑपरेशन ‘सागर बंधु’ के बारे में कहा कि यह ऑपरेशन अभी भी श्रीलंका में चल रहा है। आईएनएस विक्रांत और आईएनएस उदयगिरि ने सबसे पहले श्रीलंकाई अधिकारियों को राहत का सामान पहुंचाया। आईएनएस विक्रांत पर बारह टन राहत का सामान और हेलीकॉप्टर भेजे गए, जिससे आठ लोगों की जान बच गई। श्रीलंकाई नागरिक बाढ़ के पानी में फंसे हुए हैं। हमारे एक जहाज सुकन्या ने भी कल त्रिंकोमाली में एक बार फिर 10 से 12 टन राहत सामग्री पहुंचाई है।——

———-

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com