म्यामां में पिछले हफ्ते चार पुलिस थानों पर घातक हमला करने के लिए जिम्मेदार रखाइन प्रांत के जातीय विद्रोहियों के खिलाफ देश की सरकार ने सेना से “अभियान शुरू” करने के लिए कहा है. सरकार के एक प्रवक्ता ने सोमवार को यह जानकारी दी. हिंसा बढ़ने के बाद हजारों और लोगों को अपना घर छोड़ कर भागने पर मजबूर होना पड़ा. देश के संकटग्रस्त पश्चिमी रखाइन राज्य में हाल के कुछ हफ्तों में सुरक्षा बलों एवं अराकान आर्मी (एए) के बीच कई झड़पें हुई हैं. अराकान आर्मी एक सशस्त्र समूह है जो रखाइन की जातीय बौद्ध आबादी के लिए ज्यादा स्वायत्तता की मांग करता है.

यह म्यामां के सबसे गरीब इलाकों में से एक है और जातीय एवं धार्मिक घृणा से त्रस्त है. 2017 में सेना की क्रूर कार्रवाई ने लाखों मुस्लिम रोहिंग्याओं को बांग्लादेश भागने पर मजबूर कर दिया था. सेना ने रोहिंग्या चरमपंथियों को उखाड़ फेंकने के लिए इस कार्रवाई को जायज ठहराया था.
हिंसा का यह नया मामला शुक्रवार को म्यामां के स्वतंत्रता दिवस के दिन शुरू हुआ था. अधिकारियों का कहना है कि सैकड़ों चरमपंथियों के हमले में पुलिस के 13 अधिकारियों की मौत हो गई थी और सेना के नौ अधिकारी घायल हो गए थे. वहीं एए का कहना है कि उसके तीन लड़ाके मारे गए.
साथ ही सेना पर आरोप लगाया कि वह पुलिस थानों को अड्डा बनाकर भारी गोलाबारी करती है. सरकार के प्रवक्ता जाव हते ने संवाददाताओं से कहा, “राष्ट्रपति कार्यालय ने पहले ही तामादाव (सेना) को चरमपंथियों के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश दे दिए हैं.”
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