जियो के साथ होने वाली डील के टलने और कर्ज चुकाने में विफल होने के बाद अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशंस (Rcom) ने आखिरकार नैशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) में दीवालिया होने की अर्जी दी है। कंपनी अपनी संपत्तियों को बेचकर कर्जदारों का कर्ज चुकाने में नाकाम रही है।
इसके बाद शेयर बाजार में कंपनी का शेयर 54 फीसद से अधिक तक लुढ़क गया। बीएसई में कंपनी का शेयर दिन भर की ट्रेडिंग के दौरान 48.27 फीसद टूटते हुए 6 रुपये के निचले स्तर पर जा पहुंचा। ब्लूमबर्ग के मुताबिक आरकॉम के अमेरिकी बॉन्ड, जिसकी मैच्युरिटी नवंबर 2020 तक है, में करीब दो फीसद की मजबूती आई। सितंबर के बाद बॉन्ड में आई यह सबसे बड़ी तेजी है।
गौरतलब है कि अनिल अंबानी की इस टेलीकॉम कंपनी पर मार्च 2018 के आंकड़ों के मुताबिक 46,547 करोड़ रुपये का कुल कर्ज है।
आरकॉम के एनसीएलटी में दीवालिया अर्जी दिए जाने का असर अनिल अंबानी समूह की अन्य कंपनियों के शेयरों पर भी दिखा। रिलायंस कैपिटल के शेयर जहां 11 फीसद तक लुढ़क गए वहीं रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर 7 फीसद तक टूट गया। रिलायंस पावर के शेयरों में जहां 11 फीसद की गिरावट आई, वहीं रिलायंस नैवल एंड इंजीनियरिंग के शेयर 11 फीसद तक टूट गए।
कंपनी की तरफ से जारी बयान में कहा गया है, ‘आरकॉम के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने कर्ज निपटान योजना को एनसीएलटी के जरिए सुलझाने का फैसला लिया है।’ इसके साथ ही रिलायंस कम्युनिकेशंस एयरसेल के बाद दूसरी कंपनी हो गई है, जिसने कर्ज चुकाने के लिए दीवालिया होने का विकल्प चुना है।
कंपनी ने कर्ज चुकाने के लिए दिसंबर 2017 में जियो के साथ स्पेक्ट्रम बिक्री को लेकर डील की थी लेकिन जियो ने कंपनी के कर्च चुकाए जाने को लेकर आश्वासन देने से मना कर दिया। आरकॉम ने करीब 25,000 करोड़ रुपये की संपत्ति बेचने की योजना बनाई थी, जिसके जरिए करीब 40 कर्जदाताओं का कर्ज चुकाया जाना था।
आरकॉम को स्पेक्ट्रम बिक्री के बदले में जियो से करीब 975 करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद थी, जिसमें से 550 करोड़ रुपये का भुगतान एरिक्सन को किया जाना था और 230 करोड़ रुपये की रकम का भुगतान रिलायंस इन्फ्राटेल के अल्पांश शेयरधारकों को किया जाना था।
लेकिन जियो की तरफ से अंडरटेकिंग नहीं दिए जाने के बाद दूरसंचार विभाग ने पिछले महीने आरकॉम-जियो डील को एनओसी देने से मना कर दिया। जबकि आरकॉम ने इस बिक्री के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक दो दिनों की डेडलाइन के भीतर 1400 करोड़ रुपये की कॉरपोरेट गारंटी जमा करा दी थी।