देश में बेरोजगारी का यह आलम हैं कि एमए और बीए पास युवा खेतों में मजदूरी करने को विवश हैं। हकीकत है कि उच्च डिग्रियां हासिल करने वाले इन युवाओं को अच्छी तो छाेडिये, छोटी नौकरी नहीं मिल रही है। वैसे भी डिग्रियां हासिल करने के बाद भी संभव नहीं है कि सभी युवाओं को सरकारी व निजी सेक्टर में अच्छी नौकरी मिल ही जाए। ऐसे में बहुत से युवा बीए, एमए की डिग्रियां लेकर भी बिना पढ़े लिखे लोगों की तरह काम करने को मजबूर हैं। ये युवा कड़कड़ाती धूप व प्रचंड गर्मी में तर-बतर होकर धान लगाने के लिए उत्तर प्रदेश, बिहार से पंजाब पहुंच रहे हैं। इन युवाओं का कहना है कि बेराेजगार रहने से अच्छा है मेहनत कर चार पैसा कमाया जाए।

युवाओं ने कहा-बेरोजगार रहने से अच्छा है मेहनत से चार पैसा कमाया जाए
ऐसे ही युवाओं का एक दल धनबाद-फिरोजपुर एक्सप्रेस ट्रेन से फिरोजपुर रेलवे स्टेशन पर उतरा। इन मजदूरों संख्या करीब 19 थी। इसमें मुकेश व दिनेश ऐसे थे जिनकी पढ़ाई मिडिल क्लास तक थी। बाकी सभी इससे ऊपर बीए, एमए तक पढ़ाई करने वाले थे। उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी से इस दल का हिस्सा अरुण कुमार ने बताया उनके गांव व आसपास के गांवों के बहुत से लोग पंजाब में धान-गेहूं फसल के सीजनल काम के लिए खेतों व मंडियों में आते हैं। यहां आने का यह उनका दूसरा वर्ष है।
अरुण बोले, कहने को मैंने प्राचीन इतिहास विषय से एमए किया हुआ है, लेेकिन न तो सरकारी नौकरी मिली और न ही प्राइवेट सेक्टर में कोई अच्छा जॉब। ऐसे में मैं भी अपने आस पास के लोगों के साथ यहां पंजाब में हर सीजन में काम के लिए आता हूं। पंजाब के मजदूर खेतों में काम करने को प्राथमिकता कम देते है, ऐसे में यहां के किसान अपनी जरूरत को देखते हुए उन लोगों को पूरा मान-सम्मान भी देते हैं।
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