अरुण जेटली यानी वर्षों तक भाजपा के संकटमोचक रहने वाले कुशल रणनीतिकार…। ऐसे नेता जिसे भाजपा और दूसरे दलों के बीच का सेतु माना जाता रहा हो। एक ऐसे नेता जिनके तर्क और युक्ति पर हर किसी को भरोसा हो। एक ऐसे नेता जो हास्य व्यंग्य के जरिये भी बहुत कुछ संदेश देते हों और सबसे बड़ी बात, एक ऐसे नेता जिनकी छांव में कार्यकर्ता आश्वस्त हों।

अरुण जेटली के निधन के साथ भाजपा के करोड़ों कार्यकर्ताओं के लिए वह छांव खत्म हो गई है। इसके साथ ही एक सेतु भी टूट गया है। छात्र राजनीति से आकर भाजपा के शीर्ष नेतृत्व तक पहुंचे जेटली अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में सरकार में आए तो सूचना प्रसारण मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई थी। दरअसल, उनकी सबसे बड़ी खूबी थी संवाद। कानून की पढ़ाई ने उन्हें तार्किक तो बनाया ही था, सामाजिक सरोकारों से जुड़े रहने के कारण उनका संवाद सामने वाले व्यक्ति को भरोसा दिलाता था। अपनी क्षमता के कारण उन्होंने कानून, वाणिज्य, वित्त जैसे बड़े मंत्रालयों को बखूबी चलाया था। जीएसटी जैसे बड़े सुधार भी उनके ही काल में हुए थे।
Shaurya Times | शौर्य टाइम्स Latest Hindi News Portal