पंजाब के पठानकोट जिले में विभिन्न स्थानों पर धान की फसल पर फालस्मत (हल्दी रोग) ने दस्तक दे दी है। ऐसे में किसानों की चिंताएं फसल को लेकर बढ़ने लगी हैं। हल्दी रोग का सबसे अधिक असर हाइब्रिड किस्सों पर हुआ है। रोग के कारण जहां एक ओर फसल के दाने पाउडर के भांति बन रहे हैं, वहीं दूसरी ओर फसलों की ग्रोथ भी रुक गई है। इस कारण अनुमानित 12 फीसद के करीब फसल प्रभावित हुई है।
किसानों को किया जा रहा जागरूक
खेतीबाड़ी महकमे ने भी रोग पर काबू पाने के साथ ही किसानों को जागरूक कर रही है। समय पर रोग के लक्षण पहचानने के साथ ही उपाय बताया जा रहा है।
तैयार हो चुकी फसल पर असर
पठानकोट जिले में फालस्मत रोग ने लगभग तैयार हो चुकी धान की फसल पर हमला किया है, जिससे किसानों की फसल प्रभावित हुई है।
दस टीमों का किया गठन
विभाग की ओर से 10 टीमों का गठन किया गया है। गांव-गांव जाकर धान की फसल का मुआयना कर रही है। इन टीमों में ब्लॉक खेतीबाड़ी अधिकारी डॉक्टर अमरीक सिंह, खेतीबाड़ी विस्तार अफसर गुरदित सिंह, खेतीबाड़ी उप-निरीक्षक निरपजीत कुमार और सहायक टेक्नोलॉजी प्रबंधक आत्मा अमनदीप सिंह विशेष रूप से शामिल हैं।
ऐसे करें बचाव
500 ग्राम कापर हाइड्रोआक्साइड 46 डीएफ या 400 मिलीलीटर पिकोकसीसट्रोबिन तथा प्रोपीकोनजोल को 200 लीटर पानी के घोल में छिड़काव कर देना चाहिए। जरूरत से अधिक छिड़काव न करें।
रोग के कारण कम उत्पादन
इस रोग की चपेट में आने से फसलों में झाड़ कम मिल पाएगा। बिना अधिकारियों की सलाह के दवाई छिड़काव कर रहे हैं। इसका नुकसान होने का अधिक संभावना बनी हुई है।
कृषि अधिकारी से लें सलाह
धान की फसल पर हल्दी रोग का असर हुआ है तो कृषि विभाग के अधिकारियों को सूचित करें। उनके सुझाव पर ही दवाई का छिड़काव करें। इससे फसल का दाना बनने की प्रक्रिया पर असर हो सकता है।
लक्षण दिखे तो करें सूचित
डॉक्टर हरतरण पाल सिंह तथा ब्लॉक खेतीबाड़ी अफसर डॉक्टर अमरीक सिंह ने बताया कि फालस्मत के लक्षण दिखाई पड़ते ही विभाग को सूचना दें।
इस एरिया में अधिक प्रभाव
गांव ढाकी सैदा, आसावानू, गांव झङोली, अजीजपुर, मीरथल, माहीचक्क, कटारूचक्क, घरोटा, सरना, मीरथल, माधोपुर।
इसलिए हुआ रोग
- यूरिया के अधिक प्रयोग
- गैर प्रमाणित किस्सों के कारण
- फसल के तैयार होने के समय बारिश
- मौसम में नमी होने के कारण
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