
( उत्तर भारत का पहला मेडिकल डिवाइस पार्क होगा )
उत्तर प्रदेश में मेडिकल डिवाइस पार्क बनाने के काम में तेजी लाने के आदेश संबंधित विभाग और अधिकारियों को दे दिए गए हैं। मेडिकल डिवाइस पार्क में प्लॉट पाने के लिए 39 राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कंपनियों ने फॉर्म भरे थे, जिसमें 27 भूखंडों का ड्रॉ हाल ही में यमुना प्राधिकरण में कराया गया है। इसकी जानकारी यमुना प्राधिकरण के सीईओ डॉ अरुण वीर सिंह ने दी है।
इस मेडिकल डिवाइस पार्क के लिए 35 देश-विदेश की कंपनियों को जमीन मिलेगी। योगी सरकार ने चयनित कंपनियों को ख़ास सुविधाएं देने का भी निर्णय लिया है जिसके तहत मशीनरी के लिए कर्ज लेने पर 2 करोड़ रुपए तक का सालाना ब्याज उत्तर प्रदेश सरकार वहन करेगी। कंपनी को 10 साल तक एसजीएसटी भी नहीं देना होगा।
इसके साथ ही चयनित कंपनियों को माल भाड़ा और एयर कार्गो में बकायदा छूट दी जाएगी यह छूट 10 साल तक मिलेगी। कर्मचारियों की पीएफ़ में कंपनी का हिस्सा सरकार जमा करेगी। सरकार कर्मचारियों को काम के लिए बकायदा प्रशिक्षण भी देगी। प्रति कर्मचारी 5 हज़ार रुपये 6 माह तक प्रशिक्षण सरकार की तरफ से दिया जाएगा। इतना ही नहीं सरकार इन कंपनियों को सस्ती दरों पर बिजली भी मुहैया कराएगी।
मेडिकल डिवाइस पार्क के गठन से 8 हज़ार से अधिक लोगों को रोजगार मिल सकेगा। मेडिकल डिवाइस पार्क बनने से बड़ा फायदा ये होगा कि 600 करोड़ रुपए का निवेश उत्तर प्रदेश में होगा।
दूसरी महत्वपूर्ण बात गौर करने वाली ये है कि अभी तक मेडिकल उपकरण विदेशों से मंगाए जाते थे लेकिन अब भारत में बनने शुरू हो जाएंगे और खासकर उत्तर प्रदेश उसमें अपनी अहम भूमिका निभाएगा। इस मेडिकल डिवाइस पार्क में ऑक्सीजन कंसंट्रेटर, वेंटीलेटर इनप्लांट और एनएसथीसिया मशीन बनाने वाली बड़ी कंपनियां शामिल हैं। ये कंपनियां इन उपकरणों को बनाती हैं।
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