नई दिल्ली। देश के पावर प्लांटों में कोयले की कमी दूर होने की उम्मीद है। कोयला मंत्रालय इस मसले पर काफी गंभीर हो गया है। कोल इंडिया लि. (सीआइएल) के पास 350 लाख टन कोयला स्टॉक में है। मंत्रालय की ओर से सीआइएल और साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लि. (एसईसीएल) समेत उसकी सभी सहायक कंपनियों को बारिश का सीजन आने से पहले अधिक से अधिक कोयला भेजकर स्टॉक खत्म करने कहा गया है। इससे पावर प्लांटों के समक्ष कोयले की कमी भी दूर हो सकेगी।
वित्त वर्ष 2017-18 में सीआइएल ने 5803 लाख टन कोयला विभिन्न उपभोक्ता उपक्रमों को डिस्पैच किया जो पिछले वर्ष के 5433 लाख टन की तुलना में लगभग सात फीसद अधिक है। इसमें पावर प्लांटों को लगभग 4543 लाख टन कोयला दिया गया। कोयला क्षेत्र से जुड़े जानकारों का कहना है कि इसके बाद भी एसईसीएल समेत कोल इंडिया की अन्य सहायक कंपनियों के पास 350 लाख टन कोयला स्टॉक में पड़ा हुआ है। गर्मी के दिनों में कोयला में आग लग जाती है, इसलिए कोयला मंत्रलय सभी उपक्रमों को कोयला डिस्पैच करने पर जोर दे रहा है।
मंत्रालय अधिकारियों ने सभी कंपनियों के अफसरों के साथ वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिये हुई बैठक में कहा है कि स्टॉक में पड़े कोयले का स्टॉक अविलंब खत्म किया जाए। इससे पावर प्लांटों में पर्याप्त कोयले की आपूर्ति हो सकेगी। हालांकि देश के कुछ पावर प्लांटों में ही कोयले की कमी अत्यधिक चिंताजनक है। अन्य पावर प्लांटों के पास कोयला स्टॉक है। इसके साथ ही रेलवे को भी पर्याप्त मात्र में रैक उपलब्ध कराने कहा है, ताकि खदान से कोयला उठाव हो सके।
पावर प्लांटों में 20 दिन का स्टॉक जरूरी: पावर प्लांटों में कम से कम 20 दिन का कोयला स्टॉक होना चाहिए ताकि प्लांट परिचालन में दिक्कत न हो। बरसात में कोयला उत्पादन प्रभावित होता है इसलिए पावर प्लांट प्रबंधन गर्मी में ही अधिक से अधिक कोयला मंगाकर स्टॉक करते हैं।
सीआइएल के उत्पादन में वृद्धि: बीते वित्त वर्ष में सीआइएल ने सभी कोल कंपनियों को लगभग 6000 लाख टन कोयला उत्पादन करने का टारगेट दिया है। एसईसीएल समेत अन्य सभी कंपनियों ने अभी से उत्पादन में इजाफा कर दिया है। एसईसीएल प्रतिदिन ढाई लाख टन से अधिक कोयला उत्पादन कर रहा है। इसके साथ ही उत्पादित संपूर्ण कोयला डिस्पैच करने का भी दबाव बना हुआ है।
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