धूम्रपान निषेध दिवस: धूम्रपान से शिशु की हड्डियां कमजोर होने का खतरा

लखनऊ। धूम्रपान व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य के साथ ही शारीरिक सेहत पर भी नकारात्मक असर डालता है। यदि गर्भवती धूम्रपान करती हैं तो महिला और उसके गर्भस्थ शिशु दोनों के लिए यह हानिकारक है।

किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) की वरिष्ठ महिला रोग विशेषज्ञ डा. सुजाता ने हिन्दुस्थान समाचार को बताया कि यदि गर्भवती महिला धूम्रपान करती है तो उसके गर्भस्थ शिशु की हड्डियां कमजोर होने का खतरा रहता है।
उन्होंने बताया कि धूम्रपान से शरीर में निकोटिन, कार्बन मोनोऑक्साइड और टार जैसे हानिकारक केमिकल्स प्रवेश कर जाते हैं जो शरीर के अंगों को नुकसान पहुंचा कर शरीर को बीमार करने का काम करते हैं। इसलिए गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को धूम्रपान से दूर रहना चाहिए, क्योंकि धूम्रपान से गर्भवती और उसके गर्भस्थ शिशु की सेहत पर भी बुरा असर पड़ता है।
एक शोध के अनुसार गर्भावस्था के दौरान धूम्रपान करने से नवजात बच्चे में हड्डियों के टूटने का खतरा बढ़ जाता है। इस शोध के निष्कर्षों को 16 लाख शिशुओं के डाटा के आधार पर तय किया गया है। शोध के लिए गर्भावस्था के दौरान जो महिलाएं धूम्रपान करती थी और जिन्होंने इस दौरान धूम्रपान नहीं किया उनके शिशुओं का ब्यौरा एकत्र किया गया। इसके बाद शोधकर्ता इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि गर्भ धारण करने के दौरान अगर कोई महिला सिगरेट पीती हैं तो उसके होने वाले बच्चे के हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए यह घातक होता है और शिशु में हड्डियों के टूटने का खतरा बढ़ जाता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार धूम्रपान की लत से हर साल लगभग 80 लाख लोग मारे जा रहे हैं और इनमें से अधिकतर मौतें कम तथा मध्यम आय वाले देशों में हो रही हैं। डब्ल्यूएचओ ने पनामा में एक सम्मेलन में अपनी रिपोर्ट में बताया है कि अगर ऐसा ही चलता रहा तो वर्ष 2030 में प्रति वर्ष धूम्रपान की वजह से मारे जाने लोगों की संख्या बढ़कर एक करोड़ के आसपास हो जाएगी। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि 92 देशों के 2.3 अरब लोगों को धूम्रपान पर किसी न किसी तरह लगाए गए प्रतिबंधों से लाभ हुआ है। मतलब साफ है कि आने वाले समय में इनमें से सबसे ज्यादा नुकसान भारत को ही होने जा रहा है।

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