थल सेनाध्यक्ष बोले- नई प्रौद्योगिकियां बदल रही हैं आधुनिक युद्धों की परिभाषा

नई दिल्ली थल सेनाध्यक्ष जनरल मनोज पांडे ने कहा है कि नई प्रौद्योगिकियां प्रतिस्पर्धा के नए रणनीतिक क्षेत्र के रूप में उभर कर सामने आई हैं, इसलिए आधुनिक युद्धों की परिभाषा बदल रही है। हाल के संघर्षों का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि विघटनकारी एवं दोहरे उपयोग वाली प्रौद्योगिकियां अभूतपूर्व स्तर पर बढ़ रही हैं। थल सेनाध्यक्ष ने प्रौद्योगिकी सक्षम भविष्य के लिए तैयार सैन्य बल में परिवर्तन की दिशा में अपना प्रयास जारी रखने के उद्देश्य से भारतीय सेना की प्रतिबद्धता को दोहराया।

थल सेनाध्यक्ष जनरल पांडे सेंटर फॉर लैंड वारफेयर स्टडीज (सीएलएडब्ल्यूएस) की ओर से मानेकशॉ सेंटर में ‘तकनीकी समावेशन का वर्ष, सैनिकों का सशक्तिकरण’ विषय पर संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। इस कार्यक्रम में रक्षा क्षेत्र के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और उन्नत हार्डवेयर जैसी आधुनिक तकनीकों को अपनाने पर विचार-विमर्श करने के उद्देश्य से प्रौद्योगिकी विशेषज्ञों तथा रक्षा उद्योग जगत के पेशेवरों को एक मंच प्रदान किया गया। इस अवसर पर लगाई गई प्रदर्शनी में भारत के रक्षा क्षेत्र की प्रगति एवं क्षमताओं का प्रदर्शन किया गया।

इस संगोष्ठी सह प्रदर्शनी कार्यक्रम की शुरुआत थल सेनाध्यक्ष जनरल मनोज पांडे के उद्घाटन भाषण के साथ हुई। इसके बाद मुख्य व्याख्यान अटल इनोवेशन मिशन (एआईएम, नीति आयोग) के मिशन निदेशक डॉ. चिंतन वैष्णव ने दिया। सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने स्वदेशी प्रौद्योगिकियों में आत्मनिर्भरता हासिल करने के साथ ही स्वदेशी हथियारों से युद्ध लड़ने की जरूरत को रेखांकित किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि प्रौद्योगिकी अब प्रतिस्पर्धा के नए रणनीतिक क्षेत्र के रूप में उभर कर सामने आई है, जो भू-राजनीतिक शक्ति को संचालित करती है।

जनरल मनोज पांडे ने यह भी कहा कि सूचना से लेकर आपूर्ति श्रृंखलाओं तक विभिन्न क्षेत्रों के शस्त्रीकरण के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाया जा रहा है। उन्होंने हाल के संघर्षों का उदाहरण देते हुए कहा कि विघटनकारी एवं दोहरे उपयोग वाली प्रौद्योगिकियां अभूतपूर्व स्तर पर बढ़ रही हैं, जिससे आधुनिक युद्धों की परिभाषा बदल रही है। थल सेनाध्यक्ष ने इस तथ्य का भी उल्लेख किया कि इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर, माइक्रो-इलेक्ट्रॉनिक्स, ड्रोन, प्रिसिजन अटैक सिस्टम, लोइटर म्यूनिशन और स्टार-लिंक टर्मिनलों को शामिल करने वाली डिजिटल प्रौद्योगिकियों को चुनौती दे रहा है।

उन्होंने सभी हितधारकों, तीनों सेनाओं, रक्षा उद्योग जगत के भागीदारों, स्टार्ट-अप्स, अनुसंधान एवं विकास संस्थानों, शिक्षाविदों और नीति निर्माताओं से अपने प्रयासों में तालमेल बिठाने तथा एक जीवंत राष्ट्रीय रक्षा इको-सिस्टम विकसित करने का आग्रह किया। इस संगोष्ठी को तीन सत्रों में आयोजित किया गया, जिसमें पहला सत्र ‘समसामयिक प्रौद्योगिकी और उद्योग क्षमताओं’ पर केंद्रित था। इस सत्र का संचालन क्षमता विकास महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल विनीत गौड़ ने किया। इस सत्र में आईआईटी जोधपुर के प्रोफेसर मयंक वत्स, डॉ. मंदिरा मजूमदार, राजीव मेहरोत्रा, वैभव गुप्ता तथा कर्नल करणदीप सिंह (सेवानिवृत्त) ने भारतीय रक्षा उद्योग की उभरती भूमिका का विश्लेषण किया।

दूसरा सत्र ‘सैनिकों को सशक्त बनाना: आधुनिक प्रौद्योगिकियों के माध्यम से प्रभाव बढ़ाना’ विषय पर केंद्रित था, जिसका संचालन लेफ्टिनेंट जनरल सुब्रत साहा (सेवानिवृत्त) ने किया गया। इस सत्र में सिग्नल डायरेक्टरेट से मेजर जनरल सुनील मेहरोत्रा और डीआरडीओ से एसबी तनेजा ने भारतीय सेना की क्षमताओं को विस्तार देने के लिए वर्तमान तथा अगली पीढ़ी की प्रौद्योगिकियों का लाभ उठाने के विकल्पों के बारे में अपने विचार रखे। इस सत्र में स्थलीय क्षेत्र से आगे जाने का विचार करते हुए वर्तमान संदर्भ और भविष्य के परिदृश्यों में अंतरिक्ष तथा साइबर डोमेन की भूमिका का भी विश्लेषण किया गया।

इस आयोजन का अंतिम सत्र ‘अधिकतम प्रौद्योगिकी प्रभावशीलता और सैन्य तैयारी’ विषय पर केंद्रित था, जिसका संचालन लेफ्टिनेंट जनरल पीआर शंकर (सेवानिवृत्त) ने किया। इसमें प्रमुख वक्ता लेफ्टिनेंट जनरल राजेश पंत (सेवानिवृत्त), जियो जॉर्ज फिलिप, डॉ. के मोहनवेलु और मेजर जनरल अजय शर्मा थे। इस सत्र में सैनिकों को सशक्त बनाने के लिए हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर विकल्पों के अलावा साइबर स्पेस के सैन्य अनुप्रयोगों, आधुनिक युद्धक्षेत्र पर ड्रोन तथा उपग्रहों के प्रभाव से लेकर अन्य सभी व्यापक विकल्पों पर विचार-विमर्श किया गया। थल सेना के उप प्रमुख (रणनीति) लेफ्टिनेंट जनरल तरूण कुमार आइच के भाषण से कार्यक्रम का समापन हुआ। उन्होंने भारतीय सेना के परिवर्तन के प्रभावशाली प्रगति पथ पर सकारात्मक विचार प्रस्तुत किये।

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com