लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बच्चों और किशोरों के हित में शुरू की गई महत्वपूर्ण ‘मुख्यमंत्री बाल आश्रय योजना’ अब परवान चढ़ने वाली है। इसके योजना के अंतर्गत अनाथ, परित्यक्त, अभ्यर्पित और विपरीत परिस्थितियों में रह रहे बच्चों को पालन-पोषण, देखभाल और सुरक्षित आश्रय प्रदान किया जाएगा। योगी सरकार प्रदेश के 10 जनपदों में कुल 10 नवीन गृह स्थापित करने करने जा रही है।
100 करोड़ रुपये का प्रस्तावित बजट, 10 जनपदों में नवीन गृह
मुख्यमंत्री बाल आश्रय योजना के अन्तर्गत महिला कल्याण विभाग द्वारा राजकीय देख-रेख व संरक्षण की आवश्यकता वाले निराश्रित तथा कानून से संघर्षरत बच्चों के सुरक्षित, सर्वागीण विकास के लिए संचालित किया जाएगा। योजना के अन्तर्गत प्रथम चरण में आवश्यकतानुसार प्रदेश के 10 जनपदों वाराणसी, गोरखपुर, लखनऊ, अयोध्या, अमेठी, मथुरा, फिरोजाबाद, बस्ती, झांसी एवं कानपुर देहात में विभिन्न श्रेणियों में 100-100 की क्षमता के कुल 10 नवीन गृहों के निर्माण व संचालन किया जाना है, जिनमें 01 राजकीय बाल गृह (बालिका), 01 राजकीय बाल गृह (बालक), तथा 07 राजकीय सम्प्रेक्षण गृह (किशोर) किशोर न्याय बोर्ड सहित एवं 01 प्लेस ऑफ सेफ्टी गृह सम्मिलित हैं।
बच्चों के समग्र विकास पर है योगी सरकार का ध्यान
योगी सरकार इस योजना के माध्यम से उन बच्चों को मुख्यधारा से जोड़ने का लक्ष्य लेकर चल रही है, जो अनाथ हैं या कठिन परिस्थितियों में जीवन यापन कर रहे हैं। प्रस्तावित गृहों में बच्चों को सुरक्षित माहौल, पौष्टिक भोजन, शिक्षा और कौशल विकास की सुविधाएं दी जाएंगी। य उद्देश्य है कि हर योगी सरकार का उद्देश्य है कि हर बच्चा अपने अधिकारों का लाभ उठाए और समाज में सम्मानजनक जीवन जी सके। यह योजना बच्चों के भविष्य को संवारने की दिशा में एक बड़ा कदम होगी।
अनाथ और विपन्न बच्चों को आश्रय, शिक्षा, स्वास्थ्य और समग्र विकास के लिए प्रतिबद्ध योगी सरकार
योजना के तहत इन प्रस्तावित गृहों में बच्चों को मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ रखने के लिए काउंसलिंग और मनोरंजन की व्यवस्था भी करने की योजना है। स्कूलों में ऑपरेशन कायाकल्प, मिड-डे मील योजना में सुधार और शिक्षा के क्षेत्र में व्यापक बदलाव जैसी कई योजनाएं योगी सरकार पहले ही बच्चों के हित में लागू कर चुकी है। मुख्यमंत्री बाल आश्रय योजना की शुरुआत कर योगी सरकार ने एक बार फिर साबित किया है कि वह बच्चों के समग्र विकास और उनकी सुरक्षा को लेकर प्रतिबद्ध है।
यह प्रस्तावित योजना न केवल बच्चों को आश्रय देने की दिशा में काम करेगी, बल्कि उन्हें एक बेहतर भविष्य की ओर ले जाने में भी मदद करेगी। उत्तर प्रदेश सरकार का यह कदम देश के अन्य राज्यों के लिए भी एक मिसाल बन सकता है।
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