जस्टिस यशवंत वर्मा के सरकारी आवास पर नकदी मिलने के आरोपों की आंतरिक जांच कर रही न्यायाधीशों की तीन सदस्यीय समिति ने अपनी रिपोर्ट भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना को सौंप दी है. यह घटनाक्रम तब सामने आया था जब जस्टिस वर्मा के खिलाफ उनके आधिकारिक आवास पर नकदी बरामद होने के आरोप लगे. इन आरोपों की गंभीरता को देखते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने तुरंत एक आंतरिक जांच समिति का गठन किया था.
इस समिति में पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति शील नागू, हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी.एस. संधावालिया और कर्नाटक उच्च न्यायालय की न्यायाधीश अनु शिवरामन शामिल थे. समिति ने तेजी से कार्रवाई करते हुए आरोपों की गहन जांच की और 3 मई 2025 को तैयार कर ली. इस रिपोर्ट को आधिकारिक तौर पर 4 मई, 2025 को मुख्य न्यायाधीश को सौंप दिया गया.
इस मामले की मुख्य बातें:
1. आग और नकदी की खोज: 14 मार्च, 2025 को जस्टिस वर्मा के आधिकारिक आवास पर आग लगने के बाद, अग्निशामकों को कथित तौर पर आंशिक रूप से जले हुए भारतीय मुद्रा नोटों के कई बैग मिले.
2. जस्टिस वर्मा का खंडन: जस्टिस वर्मा ने इन दावों को सिरे से खारिज करते हुए उन्हें उनकी प्रतिष्ठा को धूमिल करने की एक बड़ी साजिश का हिस्सा बताया है.
3. पुलिस का हस्तक्षेप: दिल्ली पुलिस आयुक्त संजय अरोड़ा ने कथित तौर पर जली हुई नकदी की तस्वीरें और एक वीडियो दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डी. के. उपाध्याय के साथ व्हाट्सएप पर साझा किए. हालांकि, इस मामले में अभी तक कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई .
4. जस्टिस वर्मा की सफाई: जस्टिस वर्मा ने इस विचार को अविश्वसनीय बताते हुए खारिज कर दिया कि उन्होंने या उनके परिवार के सदस्यों ने आउटहाउस में नकदी जमा की थी. उन्होंने बताया कि वह कमरा कर्मचारियों, सुरक्षाकर्मियों और यहां तक कि केंद्रीय लोक निर्माण विभाग के कर्मचारियों के लिए भी सुलभ था.
5. फंसाने की आशंका: जस्टिस वर्मा ने आशंका जताई है कि यह पूरी घटना उन्हें फंसाने की एक सुनियोजित साजिश हो सकती है.
6. जांच समिति का गठन: भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीब खन्ना ने आरोपों की जांच के लिए तीन सदस्यीय जांच समिति का गठन किया है.
7. न्यायिक कार्य से अलग: दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को फिलहाल जस्टिस वर्मा को कोई न्यायिक कार्य आवंटित नहीं करने के लिए कहा गया है.