ब्रसेल्स : यूरोपीय संघ ने एक बार फिर स्पष्ट किया है कि वह न केवल यूक्रेन की संप्रभुता के साथ खड़ा है, बल्कि रूस को आर्थिक और सामरिक दोनों मोर्चों पर घेरने के लिए प्रतिबद्ध है। मंत्री परिषद की बैठक में सहमति बनी कि यदि रूस गंभीर और विश्वसनीय प्रतिबद्धताएं नहीं दिखाता है, तो उस पर अतिरिक्त प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं। खासकर ऊर्जा और बैंकिंग क्षेत्र में।
यूरोपीय संघ के शीर्ष राजनयिकों ने गुरुवार को मंत्री परिषद की बैठक के बाद एक साझा प्रेस वार्ता में यह स्पष्ट किया कि यूक्रेन को सबसे मजबूत स्थिति में लाना अब उनकी प्राथमिकता है। यूरोपीय विदेश नीति प्रमुख काजा कैलास ने कहा, “यह बैठक यह दिखाती है कि हमारी रक्षा के प्रति प्रतिबद्धता पहले से कहीं अधिक मजबूत है।”
कैलास ने यूरोपीय संघ के 800 अरब यूरो के पुनर्सशस्त्रीकरण (रिआर्म) कार्यक्रम की सराहना करते हुए कहा कि रूस एक खतरनाक शक्ति है, लेकिन उसकी प्रतिक्रिया ‘पूर्वानुमेय’ है। उन्होंने कहा, “रूस केवल ताकत को समझता है। ऐसे में मजबूती ही हमारी सबसे बड़ी रणनीति होनी चाहिए।”
उन्होंने जानकारी दी कि यह रूस पर लगाया गया 18वां प्रतिबंध पैकेज है और अभी और कठोर कदम उठाने की आवश्यकता है। उन्होंने दो टूक कहा कि रूस की अर्थव्यवस्था खून बहा रही है, लेकिन हमें मास्को की सेना तक नकदी के प्रवाह को और भी अधिक रोकना होगा।
पोलैंड के विदेश मंत्री राडोस्लाव सिकोर्स्की ने यूरोपीय सहयोगियों से सुरक्षा और रक्षा खर्च में ठोस बढ़ोतरी करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, “यूरोपीय स्तंभ को मजबूत करना और रक्षा प्रतिबद्धताओं को पक्का करना अब हमारी साझेदारी के लिए निर्णायक है।”
इस मौके पर यूक्रेन के विदेश मंत्री अंद्रीय सिबीहा ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से रूस पर और अधिक दबाव बनाने की अपील करते हुए कहा है कि अब “केवल दबाव की कूटनीति ही” मास्को को शांति के लिए विवश कर सकती है। उन्होंने कहा कि डिप्लोमेसी और तुष्टिकरण जैसी रणनीतियां रूस पर असर नहीं करतीं। रूस और पूरी दुनिया के लिए खतरा बने इस रवैये को केवल दबाव के जरिए ही खत्म किया जा सकता है।