मध्य पूर्व में बिगड़े हालात के लिए ईरान जिम्मेदार, इजराइल की रक्षा करेगा फ्रांस-राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों

इस्तांबुल (तुर्किये)/पेरिस (फ्रांस) : फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने घोषणा की है कि ईरान के हमला करने पर उनका देश इजरायल की रक्षा करेगा। उन्होंने यह जरूर साफ किया कि फ्रांस ‘आक्रामक अभियान’ में हिस्सा नहीं लेगा। मैक्रों ने ईरान पर इजराइली हवाई हमलों के बाद बढ़े तनाव के जवाब में ‘राजनयिक मार्ग’ की वकालत की। इसके अलावा मैक्रों ने ‘साजो-सामान और सुरक्षा कारणों’ से फिलिस्तीन पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन को स्थगित करने की पुष्टि की।

तुर्किये की सरकारी न्यूज एजेंसी ‘अनादोलू’ की खबर में इस पर व्यापक चर्चा की गई है। ‘अनादोलू’ के अनुसार, राष्ट्रपति मैक्रों ने यह घोषणा शुक्रवार को की। मैक्रों ने कहा कि अगर ईरान जवाबी कार्रवाई में इजराइल पर हमला करता है, तो फ्रांस इजरायल की रक्षा और बचाव के लिए आगे आएगा। उन्होंने कहा कि बढ़े तनाव को खत्म करने के लिए “कूटनीतिक मार्ग” बेहतर विकल्प हो सकता है।

मैक्रों ने कहा, “पूरे क्षेत्र में अस्थिरता के बड़े जोखिम का सामना करते हुए फ्रांस अब सभी पक्षों से आग्रह करता है कि वे तनाव को बढ़ने से रोकने के लिए सबसे अधिक संयम बरतें। ईरान के परमाणु कार्यक्रम का मुद्दा एक गंभीर मामला है। एक अस्तित्वगत मामला है। इसे अब बातचीत के माध्यम से हल किया जाना चाहिए।” उन्होंने खेद व्यक्त किया कि ईरान ने सीमित निम्न-स्तरीय यूरेनियम संवर्धन की अनुमति देने वाले अमेरिकी प्रस्ताव को गंभीरता से नहीं लिया।

उन्होंने कहा, “मैं इसे अत्यंत स्पष्टता के साथ कहता हूं कि ईरान के परमाणु हथियारों की ओर बढ़ने का जोखिम क्षेत्र, यूरोप और व्यापक रूप से सामूहिक स्थिरता के लिए खतरा है। हम ऐसी दुनिया में नहीं रह सकते जहां ईरान के पास परमाणु बम हो, क्योंकि यह एक अस्तित्वगत खतरा है और हमारी सुरक्षा के लिए खतरा है।”

फ्रांस में शुक्रवार को आयोजित राष्ट्रीय सुरक्षा और रक्षा परिषद की बैठक के बाद मैक्रोन ने यह भी घोषणा की, “हमने अपने यहां सभी संभावित खतरों का सामना करने के लिए सेंटिनेल ऑपरेशन को मजबूत करने का फैसला किया है। नागरिकों, सैनिकों और दूतावासों की सुरक्षा की गारंटी के लिए कई उपाय अपनाए गए हैं।”

उन्होंने यह भी पुष्टि की कि न्यूयॉर्क में फ्रांस और सऊदी अरब के संयुक्त रूप से आयोजित संयुक्त राष्ट्र समर्थित सम्मेलन को सुरक्षा कारणों से स्थगित कर दिया जाएगा। जल्द से जल्द नई तारीख तय की जाएगी। मैक्रॉन ने कहा, “यह स्थगन किसी भी तरह से दो-राज्य समाधान के कार्यान्वयन के साथ आगे बढ़ने के हमारे दृढ़ संकल्प को कमजोर नहीं करेगा। चाहे परिस्थितियां कुछ भी हों। मैंने फिलिस्तीन राज्य को मान्यता देने के लिए अपना दृढ़ संकल्प व्यक्त किया है। यह पूर्ण है, और यह एक संप्रभु निर्णय है।”

फ्रांसीसी प्रसारक बीएफएम टीवी चैनल-13 के अनुसार, “ऑपरेशन सेंटिनेल” के तहत सेना के 7,000 जवानों को प्रतिदिन पूजा स्थलों और संवेदनशील स्थलों के साथ-साथ स्कूलों, पर्यटन स्थलों, ट्रेन स्टेशनों और हवाई अड्डों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तैनात किया जाएगा।

रक्षा मंत्रालय की वेबसाइट पर कहा गया है, “इसका उद्देश्य फ्रांसीसी लोगों को रोजमर्रा के खतरों से बचाना है।”

ऑपरेशन सेंटिनेल को फ्रांस में जनवरी 2015 के हमलों के बाद प्रभावी किया गया था। राष्ट्राध्यक्ष मैक्रों ने ईरानी सैन्य और परमाणु स्थलों पर इजराइल के बड़े हमलों के कुछ घंटों बाद यह बात कही। शुक्रवार की सुबह मैक्रों ने स्थिति पर चर्चा करने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा और रक्षा परिषद की बैठक की। उन्होंने बैठक के बाद कहा कि फ्रांस अपने हर नागरिक की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। क्षेत्र में सैन्य उपस्थिति पहले से है। उसे और सचेत कर दिया गया है।

इमैनुएल मैक्रों ने शुक्रवार शाम कहा कि ईरान पूरे क्षेत्र में अस्थिरता पैदा करने के लिए जिम्मेदार है। ईरान परमाणु बम बनाने के महत्वपूर्ण चरण के करीब है। ऐसा होने नहीं दिया जाएगा। उन्होंने देश के नागरिकों को मध्य पूर्व के देशों की यात्रा न करने की सलाह दी है।

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