भारतीय श्रद्धालुओं के साथ चीन के भेदभाव से नाराज नेपाल के टूर ऑपरेटर्स ने जताया विरोध

काठमांडू : चीन की तरफ से इस वर्ष भारतीय श्रद्धालुओं को कैलाश मानसरोवर में जाने की अनुमति तो दी गई है, लेकिन इस धार्मिक काम में भी चीन कुछ न कुछ अड़ंगा लगा रहा है। चीन के इस रवैए का नेपाल के टूर ऑपरेटरों ने विरोध किया है।

चीन ने भारतीय श्रद्धालुओं को कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर ले जाने की एवज में नेपाल के सभी टूर ऑपरेटरों को 1-1 लाख अमेरिकी डॉलर डिपोजिट रखने को कहा है। जबकि अन्य देशों से अगर कोई पर्यटक आता है तो उस कंपनी को सिर्फ 500-700 अमेरिकी डॉलर ही चार्ज किया जाता है। नेपाल के टूर ऑपरेटरों ने चीन जाकर इस पर अपना विरोध दर्ज कराया है। तिब्बत के लहासा में चीनी अधिकारियों से बैठक के दौरान नेपाली टूर ऑपरेटरों ने एक लाख डॉलर की डिपोजिट वाला प्रावधान को हटाए जाने की मांग की। इनका तर्क है कि चूंकि कैलाश मानसरोवर आने वालों में 90 प्रतिशत सिर्फ भारतीय नागरिक होते हैं, जिससे सबसे अधिक आय होती है, इसलिए नेपाली टूर ऑपरेटरों से एक लाख अमेरिकी डॉलर डिपोजिट करवाना ठीक नहीं है।

नेपाल में कैलाश मानसरोवर यात्रा कराने वाले टूर ऑपरेटरों की संस्था एसोसिएशन ऑफ कैलाश मानसरोवर टूर ऑपरेटर्स के महासचिव प्रमोद पंडित ने बताया कि इससे भारतीय श्रद्धालुओं पर कोई खास असर तो नहीं होने वाला है। यह नेपाली टूर ऑपरेटरों पर लगाया गया है और उन्हें उम्मीद है कि चीन आखिरी समय में इस पर मान जाएगा। उन्होंने कहा कि चीन उम्र को लेकर भी भारतीय श्रद्धालुओं और अन्य देशों के श्रद्धालुओं के बीच भेदभाव कर रहा है। कोरोना महामारी के बाद पहली बार खुल रहे कैलाश मानसरोवर की इस यात्रा के लिए चीन ने एक और नए नियम बनाया है। उसने कहा है कि 70 साल से अधिक के व्यक्ति को कैलाश मानसरोवर की यात्रा की अनुमति नहीं मिलेगी, जबकि गैर भारतीय पर्यटकों के लिए उम्र की सीमा 75 से 79 वर्ष तक है।

चीन के इस रवैए का भी नेपाल के टूर ऑपरेटर विरोध कर रहे हैं। एसोशिएशन के महासचिव प्रदीप पंडित का तर्क है कि भारतीय श्रद्धालुओं को भी यह सुविधा मिलनी चाहिए, क्योंकि 70वर्ष के जिन भारतीय श्रद्धालुओं की यात्रा 2020 में रुक गई थी उनकी उम्र इस समय 75 वर्ष हो गई है। कम से कम उनको यात्रा पर जाने की अनुमति दी जानी चाहिए।

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