केदारनाथ यात्रा में अब तक तीन अरब का कारोबार, 11 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने किए बाबा के दर्शन

देहरादून : श्री केदारनाथ धाम यात्रा हर वर्ष नए कीर्तिमान स्थापित कर रही है। बाबा के कपाट खुले 48 दिनों का समय पूर्ण हो चुका है और इसी अवधि में घोड़े-खच्चर, हेली, डंडी-कंडी सहित होटल एवं रेस्तरां व्यापारियों ने करीब तीन अरब का कारोबार कर लिया है। वहीं स्थानीय लोगों के रोजगार को भी बढ़ती हुई यात्रा से लगातार लाभ मिल रहा है।

वर्ष 2025 की यात्रा के लिए 02 मई को बाबा केदारनाथ धाम के कपाट श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खुल गए थे। बाबा के कपाट खुले 48 दिन का समय पूर्ण हो चुका है। बुधवार 18 जून को बाबा के दर्शन करने वाले भक्तों की संख्या 11 लाख 40 हजार पार हो चुकी है। पिछले एक महीने का औसत निकला जाए तो प्रतिदिन पौने 24 हजार श्रद्धालु बाबा के दर्शनों को केदारपुरी पहुंचे हैं।

केदारनाथ धाम यात्रा देश की सबसे कठिन धार्मिक यात्राओं में से एक है। करीब 20 किलोमीटर का कठिन पैदल मार्ग पार करने के बाद हिमालय पर्वत की गोद में बसे 11 वें ज्योतिर्लिंग के दर्शन हो पाते हैं। इस कठिन पैदल धार्मिक यात्रा में घोड़ा-खच्चरों का बेहद अहम योगदान होता है। असमर्थ एवं बुजुर्ग भक्त अक्सर इन्हीं के माध्यम से यात्रा करते हैं, वहीं खाद्य पदार्थ से लेकर अन्य अनिवार्य सामग्री इन्हीं घोड़े खच्चरों से यात्रा मार्ग एवं केदारपुरी में पहुंचाई जाती है।

मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. आशीष रावत ने बताया कि 18 जून तक 22,7614 तीर्थलु घोड़े खच्चरों के माध्यम से दर्शनों को पहुंचे हैं जिससे 66 करोड़ 73 लाख 90 हजार 350 रुपए की आय प्राप्त हुई है। उन्हाेंने बताया कि इस वर्ष लगभग आठ हजार घोड़े- खच्चर इस वर्ष के लिए पंजीकृत हैं। संक्रामक बीमारी इक्वाइन इन्फ्लूएंजा वायरस के चलते कुछ दिन घोड़ा खच्चर संचालन प्रभावित भी रहा।

हेली सेवाओं ने किया 60 करोड़ रुपयों का कारोबार:

हेली सेवाओं की केदारनाथ धाम यात्रा में अपनी एक अहम भूमिका है। हेली सेवाओं के माध्यम से किसी भी हालात में पैदल यात्रा करने में असमर्थ श्रद्धालुओं को बाबा के दर्शन का मौका मिलता है। वहीं रेस्क्यू अभियान में हेली सेवाएं अहम किरदार निभा रही हैं। प्रत्येक दिन दो से तीन मेडिकल आपातकाल से जूझ रहे लोगों को हेली सेवाओं से ही समय पर हायर सेंटर रेस्क्यू किया जाता है।

रुद्रप्रयाग के जिला पर्यटन अधिकारी और हेली सेवा के नोडल अधिकारी राहुल चौबे ने बताया कि इस वर्ष आठ हेली कंपनियां नौ हेलीपैड से अपना संचालन कर रही हैं। 18 जून तक 49,247 श्रद्धालु हेली सेवाओं के माध्यम से बाबा केदारनाथ धाम पहुंचे हैं, जिससे करीब 60 करोड़ की आय प्राप्त हुई है।

डंडी -कंडी से दो करोड़ से अधिक की आय:

केदारनाथ धाम पैदल यात्रा मार्ग पर जितने घोड़े-खच्चरों का संचालन महत्वपूर्ण है उतना ही डंडी-कंडी संचालन भी। पैदल चलने में असमर्थ कई भक्त डंडी कंडी की जगह डंडी-कंडी से यात्रा करना पसंद करते हैं। वहीं छोटे बच्चों के लिहाज से भी यह ज्यादा सुरक्षित माना जाता है। इसके अलावा कई श्रद्धालु खुद पैदल यात्रा कर केवल समान डंडी-कंडी की मदद से केदारपुरी पहुंचा देते हैं।

अपर मुख्य अधिकारी जिला पंचायत रुद्रप्रयाग संजय कुमार ने बताया कि इस वर्ष की यात्रा के लिए 7,000 से अधिक डंडी-कंडी संचालक पंजीकृत हैं। 18 जून तक डंडी-कंडी के माध्यम से दो करोड़ 2 लाख, 71 हजार 300 रुपए की आय प्राप्त हुई है। इसमें गंदगी फैलने एवं अन्य नियमों के उल्लंघन पर विभिन्न प्रतिष्ठानों का 41,7000 रुपये का चालन कर अर्थदंड भी शामिल है।

टैक्सी संचालन से करीब साढ़े 14 करोड़:

सहायक परिवहन अधिकारी रुद्रप्रयाग कुलवंत सिंह चौहान ने बताया कि इस वर्ष श्री केदारनाथ धाम यात्रा में शटल सेवा के लिए 225 गाड़ियां पंजीकृत हैं। इन्हीं गाड़ियों में श्रद्धालु सोनप्रयाग से गौरीकुंड तक पहुंचते हैं।

अब तक सात लाख से अधिक श्रद्धालु श्री केदारनाथ धाम पहुंच चुके हैं। हर यात्री को 50 रुपए जाने एवं 50 रुपए वापस सोनप्रयाग आने के चुकाने पड़ते हैं। 18 जून तक 11 लाख 40 हजार श्रद्धालु धाम में पहुंच चुके हैं यानी अब तक टैक्सी संचालक करीब 11 करोड़ 40 हजार रुपए शटल सेवा के माध्यम से अर्जित कर चुकी हैं। वहीं इस वर्ष नई पहल करते हुए 25 गाड़ियां महिला एवं बुजुर्गों के लिए आरक्षित की गई हैं। प्रति गाड़ी में औसतन 10 सवारी यात्रा कर सकती हैं। इन गाड़ियों में बकायदा स्टीकर भी लगाए गए हैं। पहले चरण में 25 वाहन ही इसके लिए लिए गए हैं। अगर प्रयोग सफल रहता है और अधिक गाड़ियों की आवश्यकता महसूस हुई तो गाड़ियों की संख्या बढ़ाई जा सकती है।

होटल प्रतिष्ठानों का 150 करोड़ से अधिक का कारोबार:

केदारनाथ धाम यात्रा मार्ग एवं केदारपुरी में श्रद्धालुओं की ठहरने की व्यवस्था जीएमवीएन एवं स्थानीय व्यापारी करते हैं। केदारनाथ धाम यात्रा मार्ग से लेकर केदारपुरी तक स्थानीय लोगों के सैकड़ों होटल, टेंट एवं रेस्तरां हैं जिनमें ठहरने एवं खाने के लिए श्रद्धालु रुकते हैं।

व्यापार संघ अध्यक्ष गौरीकुंड रामचंद्र गोस्वामी ने कहा कि केदारनाथ धाम यात्रा का स्वरूप हर वर्ष बढ़ता जा रहा है। इस वर्ष भी ऐतिहासिक रूप से यात्रा चल रही है, अकेले गौरीकुंड में करीब 350 प्रतिष्ठान हैं, जबकि पूरे यात्रा मार्ग में 2,000 से अधिक होटल एवं रेस्तरां और टेंट हैं। जहां श्रद्धालुओं के रहने- खाने की व्यवस्था होती है। श्री केदारनाथ धाम यात्रा पर आने वाले एक यात्री का रहने एवं खाने का औसत खर्चा 1500 से 2000 रुपये न्यूनतम होता है। इसमें कुछ लोग अपने खाने की व्यवस्था स्वयं करते हैं। एक महीने में यात्रा पर पहुंचे 11 लाख 40 हजार श्रद्धालुओं के हिसाब से औसत निकाला जाए तो 150 करोड़ रुपए से अधिक होटल एवं रेस्तरां और टेंट सहित अन्य प्रतिष्ठानों ने कारोबार कर लिया है।

उधर, जीएमवीएन के रीजनल मैनेजर गिरवीर रावत ने बताया कि जीएमवीएन के 15 प्रतिष्ठान केदारनाथ यात्रा मार्ग पर हैं जिसमें जिसमें ध्यान गुफा भी शामिल हैं। इन सभी में मिलकर 18 जून तक करीब 5 करोड़ रुपए का कारोबार किया है।

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