एम्स और जर्मनी के विश्वविद्यालय के बीच करार, मरीजों को मिलेगा अत्याधुनिक चिकित्सा का लाभ

नई दिल्ली : अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स)में मरीजों के इलाज में अब जर्मनी की अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा। इसके लिए हाल ही में एम्स दिल्ली से डायरेक्टर डॉ.एम. श्रीनिवास के अलावा पांच अन्य विभागों के प्रोफेसर जर्मनी पहुंचे थे। जहां जर्मनी की ड्रेसडेन यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी के साथ एक समझौता किया गया। दोनों मिलकर हेल्थकेयर के क्षेत्र में इंजीनियरिंग और टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से शोध कार्य, क्लीनिकल इंटीग्रेशन और डिजिटल तकनीक पर काम करेंगे। इससे मरीजों के इलाज में न केवल तकनीक का उपयोग उच्चतम स्तर पर होगा बल्कि नवाचार से जटिल से जटिल बीमारियों के इलाज की प्रक्रिया में भी सुधार होगा।

बुधवार को एम्स की प्रवक्ता प्रोफेसर रीमा दादा ने बताया कि एम्‍स और ड्रेसडेन यूनिवर्सिटी मिलकर यह सिद्ध करेंगे कि कैसे एकेडमिया, क्लिनिकल मेडिसिन और टेक्‍नोलॉजी मिलकर काम कर सकते हैं और इसे वैश्विक स्तर पर मरीजों के उन्‍नत इलाज में बदल सकते हैं। 15 से 18 जुलाई को जर्मनी में हुई वर्कशॉप में डायग्नोसिस से थेरेपी तक हेल्थकेयर में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, रोबोटिक्स और एक्सटेंडेड रियलिटी के इस्तेमाल के नए रास्तों को तलाशा गया। इस दौरान एम्स नई दिल्ली से निदेशक डॉ. एम. श्रीनिवास, डॉ. संदीप अग्रवाल (एचओडी, पीडियाट्रिक सर्जरी), डॉ. नीतीश नायक (प्रोफेसर, कार्डियोलॉजी), डॉ एमडी रे (प्रोफेसर, सर्जिकल ऑन्कोलॉजी), डॉ. अनीता धर (प्रोफेसर, सर्जिकल डिसिप्लिन), डॉ. कृतिका रंगराजन (एसोसिएट प्रोफेसर, रेडियो डायग्नोसिस) शामिल हुए।

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