‘मां भारती के सच्चे सपूत थे हरित क्रांति के जनक’, MS स्वामीनाथन शताब्दी सम्मेलन के उद्घाटन के बाद बोले PM मोदी

PM Modi: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को नई दिल्ली स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) पूसा में एम.एस. स्वामीनाथन शताब्दी अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन किया. इसके बाद पीएम मोदी ने कार्यक्रम में उपस्थित लोगों को भी संबोधित किया. इस दौरान पीएम मोदी एम.एस. स्वामीनाथन के देश की खाद्य सुरक्षा और उनके वैज्ञानिक परीक्षणों की तारीफ की. पीएम मोदी ने कहा कि, कुछ लोग ऐसे होते हैं जिनका योगदान किसी एक कालखंड तक, भूभाग तक सीमित नहीं रहता, प्रोफेसर एम.एस. स्वामीनाथन ऐसे ही महान वैज्ञानिक और मां भारती के सपूत थे.

पीएम मोदी ने कहा कि, ‘उन्होंने विज्ञान को जनसेवा का माध्यम बनाया. देश की खाद्य सुरक्षा को उन्होंने अपने जीवन का ध्येय बना लिया. उन्होंने वो चेतना जाग्रत की जो आने वाली कई सदियों तक भारत की नीतियों और प्राथमिकताओं को दिशा देती रहेंगी.’

पीएम मोदी ने स्वामीनाथन जन्मशताब्दी की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि, आज 7 अगस्त है इस दिन नेशनल हैंडलूम डे भी है, पिछले दस सालों में हैंडलूम सेक्टर को देशभर में नई पहचान और ताकत मिली है. पीएम मोदी ने कहा कि, डॉ. स्वामीनाथन के साथ मेरा जुड़ाव कई सालों तक था. गुजरात में पहले सूखे और चक्रवात की वजह से कृषि पर काफी संकट रहता था, कच्छ का रेगिस्तान बढ़ता चला जा रहा है. पीएम मोदी ने कहा कि जब में गुजरात का मुख्यमंत्री था तब हमने स्वाइल हेल्थ कार्ड पर काम करना शुरू किया. डॉ. स्वामीनाथन ने उसमें बहुत इंटरेस्ट दिखाया.

पीएम मोदी ने कहा कि उन्होंने खुले दिल से हमें सुझाव दिया. हमारा मार्गदर्शन किया. उनके योगदान से इस पहल को जबरदस्त सफलता मिली. पीएम मोदी ने कहा कि करीब 20 साल हुए हैं जब मैं तमिलनाडु में उनके रिसर्च फाउंडेशन के सेंटर पर गया था. 2017 में उनकी लिखी हुई किताब भूखमरी से मुक्त दुनिया की खोज (The Quest for a world without hunger) को रिलीज करने का मौका मिला. साल 2018 में वाराणसी में जब इंटरनेशनल राइज रिसर्च इंस्टीट्यूट के रीजनल सेंटर का उद्घाटन हुआ तब भी उनका मार्गदर्शन मिला.

पीएम मोदी ने कहा कि उनसे हुई मेरी हर मुलाकात एक लर्निंग एक्सपीरियंस होती थी. उन्होंने एक बार कहा था साइंस इज नॉट जस्ट अबाउट डिस्कवरी बट डिलीवरी. पीएम मोदी ने कहा कि उन्होंने इसे अपने कार्यों से सिद्ध किया. वो केवल रिसर्च नहीं करते थे. बल्कि खेती के तौर तरीके बदलने के लिए किसानों को प्रेरित भी करते थे. आज भी भारत के कृषि क्षेत्र में उनकी अप्रोच, उनके विचार हर तरफ नजर आते हैं वो सही मायने में मां भारती के रत्न थे.

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