अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारी भरकम टैरिफ लगाने के बाद से भारत अब नए रास्तों की खोज में निकल पड़ा है। हाल में ट्रंप ने भारत पर 50 फीसदी का टैरिफ लगाया था. इसके बाद भारत अब ऐसी रणनीति बनाने में लगा है ताकि टैरिफ का बोझ बेअसर हो जाए. इस बीच पीएम मोदी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की से फोन पर चर्चा की. अब पीएम मोदी ने उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति शावकत मिर्जियोयेव को कॉल किया। इस दौरान मिर्जियोयेव ने बातचीत में देश की जनता को 79 वें स्वतंत्रता दिवस की बधाई दी. इसके साथ दोनों नेताओं के बीच एनर्जी, ट्रेड, कनेक्टिविटी और सांस्कृति आदान—प्रदान पर विस्तार से चर्चा हुई. यह बातचीत इसलिए अहम है क्योंकि उज्बेकिस्तान पाकिस्तान का पड़ोसी है. इसके साथ साउथ एशिया में ईरान के चाबाहर पोर्ट से जुड़ने वाला गेटवे है.
दोनों नेताओं ने भारत और उज्बेकिस्तान के बीच बढ़ते सहयोग की प्रशंसा की. द्विपक्षीय रिश्तों को और मजबूत बनाने का संकल्प लिया. दोनों ने इस बात पर सहमति जताई कि भारत और मध्य एशिया के बीच प्रचीन ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और आर्थिक संबंधों को मौजूदा वैश्विक परिस्थितियों मजबूत किया जाएगा. इस रणनीतिक साझेदारी को नए मुकाम तक पहुंचाया जा सके.
चाबहार पोर्ट से जुड़ने वाला एक गेटवे है
अमेरिका भारत पर रूस से तेल खरीद घटने का दबाव बनाने में लगा है. इस समय भारत को ऐसे रिजनल पार्टनर की जरूरत है जो न केवल राजनीतिक रूप से भरोसेमंद हो, बल्कि जिनके पास वैकल्पिक ऊर्जा, व्यापार और सुरक्षा कनेक्शन भी हो. उज्बेकिस्तान इस मामले में काफी बेहतर है. यह मध्य एशिया में ईरान के चाबहार पोर्ट से जुड़ने वाला एक गेटवे है.
यूरेनियम, सोना और दुर्लभ धातुएं मौजूद हैं
रूस, उज्बेकिस्तान का पारंपरिक साझेदार बताया जाता रहा है. भारत का भी पुराना मित्र है.अगर अमेरिका के साथ रिश्ते खराब हैं तो भारत उज्बेकिस्तान के माध्यम से रूस-भारत-उज्बेकिस्तान ट्रायंगल रिश्तों को मजबूत कर सकता है. यह चाहे डिफेंस टेक्नोलॉजी की बात हो या वॉर एक्सरसाइज की. इसके साथ मिनरल्स में भी खास उपलब्धि मिल सकती है. उज्बेकिस्तान के पास यूरेनियम, सोना और दुर्लभ धातुएं मौजूद हैं. ये भारत के एनर्जी सिक्योरिटी और हाई-टेक इंडस्ट्री के लिए काफी जरूरी हैं.