भारत ने यूएनएससी में मुक्त, खुली समुद्री व्यवस्था के लिए दोहराई प्रतिबद्धता

न्यूयॉर्क (शाश्वत तिवारी)। भारत ने न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की समुद्री सुरक्षा पर आयोजित एक उच्च स्तरीय परिचर्चा में अंतरराष्ट्रीय कानून पर आधारित एवं संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून सम्मेलन (यूएनसीएलओएस) के सिद्धांतों द्वारा निर्देशित एक स्वतंत्र, खुली और नियम-आधारित समुद्री व्यवस्था के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की दृढ़ता से पुष्टि की। पनामा के स्थायी मिशन की अध्यक्षता में आयोजित इस परिचर्चा में समुद्री शासन और सुरक्षा की चुनौतियों का समाधान करने के लिए वैश्विक हितधारकों को एक मंच पर लाया गया। सत्र को संबोधित करते हुए विदेश मंत्रालय के सचिव (पश्चिम) तन्मय लाल ने महासागर (क्षेत्रों में सुरक्षा और विकास के लिए पारस्परिक और समग्र उन्नति) – समुद्री सुरक्षा के लिए भारत के दृष्टिकोण, जिसकी रूपरेखा पीएम नरेंद्र मोदी ने रखी है, के बारे में बात की। उन्होंने वैध समुद्री व्यापार के मुक्त प्रवाह पर भी जोर दिया।

वैश्विक व्यापार, ऊर्जा आपूर्ति, संचार केबलों, पारंपरिक और गैर-पारंपरिक खतरों और भारत की दीर्घकालिक समुद्री परंपरा के लिए समुद्री मार्गों के महत्वपूर्ण महत्व पर जोर देते हुए, लाल ने कहा कि दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक होने के नाते, भारत की समुद्री सुरक्षा में मज़बूत हिस्सेदारी और हित हैं।

उन्होंने कहा 11,000 किलोमीटर से ज़्यादा लंबी तटरेखा और लगभग 1,300 अपतटीय द्वीपों और टापुओं के साथ, भारत का लगभग 23 लाख वर्ग किलोमीटर में फैला एक विशेष आर्थिक क्षेत्र है। भारत 7 देशों के साथ समुद्री सीमाएं साझा करता है। भारतीय तट पर 12 बड़े बंदरगाह, 200 छोटे बंदरगाह और लगभग 30 शिपयार्ड हैं, जो जहाज निर्माण की दीर्घकालिक परंपरा को जारी रखे हुए हैं। भारत वैश्विक समुद्री उद्योग के लिए नाविकों का तीसरा सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता भी है।” लाल ने इस बात पर जोर दिया कि समुद्री सुरक्षा एवं संरक्षा चुनौतियों का दायरा, साथ ही आर्थिक स्थिरता और पर्यावरणीय स्थिरता संबंधी चिंताओं का तात्कालिक महत्व भारत के लिए बहुत बड़ा है।

यूएन में भारत के स्थायी मिशन ने एक ‘एक्स’ पोस्ट में कहा भारत संयुक्त अभ्यास और गश्त, ईईजेड निगरानी, एचएडीआर, खोज एवं बचाव एवं निकासी, समुद्री डकैती विरोधी, मादक पदार्थों की तस्करी विरोधी और हाइड्रोग्राफिक सर्वेक्षणों के माध्यम से वैश्विक दक्षिण सहित, भागीदारों के साथ व्यापक बहुआयामी समुद्री सहयोग आगे बढ़ा रहा है।

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