जीएसटी में कटौती से मांग में तेजी के कारण भारतीय उद्योग जगत का राजस्व 7 प्रतिशत बढ़ेगा : रिपोर्ट

नई दिल्ली : वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की दरों में कटौती के कारण चालू वित्त वर्ष में भारतीय उद्योग जगत का राजस्व 6-7 प्रतिशत बढ़ने की संभावना है। शुक्रवार को जारी क्रिसिल इंटेलिजेंस रिपोर्ट के अनुसार, इन कटौतियों का उपभोग पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा, जो कॉर्पोरेट राजस्व का 15 प्रतिशत है।

रिपोर्ट में बताया गया है कि कटौती का समय भी उपयुक्त है, क्योंकि वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच यह कटौती हो रही है और यह भारत में त्योहारों और शादियों के मौसम के साथ मेल खाता है, जब उपभोग आमतौर पर सालाना पीक पर होता है।

रिपोर्ट के अनुसार, नई जीएसटी दरें फास्ट-मूविंग कंज्यूमर गुड्स (एफएमसीजी), कंज्यूमर ड्यूरेबल्स और ऑटोमोबाइल जैसे प्रमुख क्षेत्रों में उत्पादों की कीमतों को कम करेंगी।

एफएमसीजी, ड्यूरेबल्स और ऑटोमोबाइल में इसका सीधा असर होगा, जबकि निर्माण जैसे कुछ अन्य क्षेत्रों पर इसका असर देखने लायक होगा।

जीएसटी व्यवस्था में मुनाफाखोरी-रोधी प्रावधान मार्जिन प्रोफाइल पर किसी भी तरह के प्रभाव को सीमित कर सकता है।

ऑटोमोबाइल क्षेत्र में, 350 सीसी से कम इंजन क्षमता वाले दोपहिया वाहनों की बाजार में लगभग 90 प्रतिशत हिस्सेदारी है। इन वाहनों पर जीएसटी में कटौती से मोटरसाइकिल और स्कूटर दोनों की अफोर्डिबिलिटी में सुधार के कारण बिक्री में 100-200 आधार अंकों का सुधार होना चाहिए।

रिपोर्ट में कहा गया है कि इससे एंट्री-लेवल मोटरसाइकिल सेगमेंट को काफी बढ़ावा मिलेगा, जो कीमतों में तेज वृद्धि के कारण संघर्ष कर रहा है। वित्त वर्ष 2025 में देश में कुल दोपहिया वाहनों की बिक्री में इस सेगमेंट की हिस्सेदारी 45 प्रतिशत थी, जो वित्त वर्ष 2019 में 68 प्रतिशत थी।

रिपोर्ट में कहा गया है कि छोटी कारों और कॉम्पैक्ट यूटिलिटी वाहनों (जो कुल मिलाकर यात्री वाहन उद्योग की कुल बिक्री का लगभग 55 प्रतिशत हिस्सा हैं) के मामले में, कर दरों में कटौती से कीमतों में 8-9 प्रतिशत की कमी आने की उम्मीद है, जिससे बिक्री में 200 आधार अंकों की वृद्धि होगी और यह 4-6 प्रतिशत हो जाएगी, जबकि हमारा पूर्व अनुमान 2-4 प्रतिशत था।

कृषि इनपुट क्षेत्र में जीएसटी कटौती से व्यावसायिक संचालन सुचारू होने के साथ-साथ विशिष्ट क्षेत्रों में उपभोक्ता मांग में भी वृद्धि होने की उम्मीद है।

उर्वरक क्षेत्र में, सल्फ्यूरिक एसिड, नाइट्रिक एसिड और अमोनिया जैसे प्रमुख कच्चे माल पर जीएसटी को 18 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत करने से कार्यशील पूंजी प्रबंधन में सुधार होगा क्योंकि कम इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) दावों से निर्माताओं को कार्यशील पूंजी का अनुकूलन करने में मदद मिलेगी।

रिपोर्ट में बताया गया है कि हालांकि, इनपुट टैक्स क्रेडिट व्यवस्था के कारण बिक्री की मात्रा अपरिवर्तित रहने की उम्मीद है। इंवर्टेड टैक्स स्ट्रक्चर में सुधार का मतलब है कि कच्चे माल पर जीएसटी दरों में कमी से तैयार उत्पादों की खुदरा कीमतों पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

कुल मिलाकर, जीएसटी में कटौती का कृषि इनपुट क्षेत्र पर सकारात्मक प्रभाव पड़ने की संभावना है, जिससे विभिन्न क्षेत्रों में वृद्धि, बेहतर कार्यशील पूंजी प्रबंधन और प्रतिस्पर्धात्मकता में वृद्धि देखी जा रही है। प्रमुख कच्चे माल पर जीएसटी में कमी, किसानों की खुदरा कीमतों में कमी और कृषि उत्पादों की कीमतों में वृद्धि, इन सभी से उद्योग के विकास में योगदान मिलने की उम्मीद है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रमुख निर्माण सामग्री पर जीएसटी दर में कमी से इसकी कीमतों में कमी आने की उम्मीद है, जिससे निर्माण क्षेत्र को प्रोत्साहन मिलेगा। कीमतों में गिरावट से शहरी और ग्रामीण व्यक्तिगत आवास भवनों (आईएचबी) की निर्माण लागत कम होगी, जिससे घर के मालिक अपनी बचत को बड़े या संशोधित आवास स्थानों पर खर्च कर सकेंगे।

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