विशेष रिपोर्ट: तीन राज्यों में बदल सकता है शीर्ष नेतृत्व

(शाश्वत तिवारी) : भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के भीतर उच्च-स्तरीय राजनीतिक हलचल इस ओर इशारा कर रही है कि इस महीने के अंत से पहले राजस्थान, उत्तराखंड और गोवा में नेतृत्व परिवर्तन देखने को मिल सकता है। वरिष्ठ पार्टी सूत्रों ने गोपनीयता की शर्त पर बताया कि यदि ये कदम उठाए जाते हैं, तो यह पार्टी की रणनीति होगी राज्यों में नेतृत्व को ताज़ा करने की, आगामी चुनावी लड़ाइयों के लिए तैयारी करने की और जवाबदेही की छवि को मज़बूत करने की।
जयपुर में भाजपा हाईकमान मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा को बदलने के विकल्प पर विचार कर रहा है, जो अभी दो साल से कम समय से पद पर हैं। जिन नामों की चर्चा है उनमें वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, जिनका संगठन पर गहरा आधार है; प्रताप सिंह सिंघवी, जिन्हें पार्टी कार्यकर्ताओं का समर्थन प्राप्त है; और यहां तक कि सिंधी समाज से किसी नए चेहरे को लाने का विचार भी शामिल है ताकि सामाजिक प्रतिनिधित्व को व्यापक बनाया जा सके। पार्टी रणनीतिकारों का कहना है कि फ़ैसला जातीय समीकरणों और 2028 विधानसभा चुनावों से बहुत पहले शहरी व मरुस्थलीय इलाक़ों के मतदाताओं को मज़बूत करने की ज़रूरत पर आधारित होगा।
सूत्रों का मानना है कि उत्तराखंड में भी नेतृत्व परिवर्तन देखने को मिल सकता है। हालांकि विवरण अभी गुप्त रखे गए हैं, भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व इस पहाड़ी राज्य में शासन और चुनावी तैयारियों का आकलन कर रहा है। एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा राज्य को लोकसभा चुनावों से पहले एक नई कहानी की ज़रूरत है और नेतृत्व का चुनाव उसी सोच के साथ किया जाएगा।
सबसे प्रबल बदलाव की आहट गोवा से आ रही है, जहाँ मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत भ्रष्टाचार और क़ानून-व्यवस्था में चूक के आरोपों को लेकर बढ़ते दबाव में हैं। प्रतिष्ठित कला अकादमी के घटिया नवीनीकरण कार्य को लेकर उठा विवाद और बीआईटीएस पिलानी त्रासदी के बाद जनता का गुस्सा, जवाबदेही की मांग को और तेज़ कर चुका है।
एक वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री, जिनकी छवि साफ-सुथरी है, को संभावित विकल्प के रूप में देखा जा रहा है। एक पार्टी सूत्र ने खुलासा किया केंद्र चाहता है कि गोवा पर्यटन और निवेश का मॉडल बना रहे। शीर्ष नेतृत्व में बदलाव गंभीर विचार-विमर्श में है।
पार्टी सूत्रों के अनुसार अंतिम फ़ैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के हाथों में होगा, जो ज़मीनी रिपोर्ट का बारीकी से अध्ययन कर रहे हैं। हालाँकि कोई औपचारिक घोषणा नहीं हुई है, लेकिन भाजपा का इतिहास रहा है कि वह नेतृत्व परिवर्तन तेज़ी और अचानक करती है। ऐसे में घटनाक्रम किसी भी वक़्त सामने आ सकते हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यदि ये फेरबदल होते हैं, तो यह पार्टी की उस मंशा का संकेत होगा जिसमें चुनावी व्यावहारिकता को कड़े शासन और ईमानदारी के रुख़ के साथ जोड़ा जाएगा, यह एक साफ़ संदेश होगा जैसे-जैसे भारत 2026, 2027 और 2028 के विधानसभा चुनावों और 2029 के लोकसभा चुनावों की ओर बढ़ रहा है

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com