डी केबल्स ने आईपीओ निवेशकों को किया निराश, मजबूत लिस्टिंग के बाद लगा लोअर सर्किट

नई दिल्ली,  पावर ट्रांसमिशन और डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर के लिए हाई क्वालिटी के केबल्स और कंडक्टर्स बनाने वाली कंपनी जेडी केबल्स के शेयर आज स्टॉक मार्केट में मजबूत एंट्री करने के बाद बिकवाली के दबाव में फंस गए। आईपीओ के तहत कंपनी के शेयर 152 रुपये के भाव पर जारी किए गए थे। आज बीएसई के एसएमई प्लेटफॉर्म पर इसकी लिस्टिंग 5.26 प्रतिशत प्रीमियम के साथ 160 रुपये के स्तर पर हुई। लिस्टिंग के बाद बिकवाली का दबाव बन जाने के कारण थोड़ी देर बाद ही कंपनी के शेयर गिरकर 152 रुपये के लोअर सर्किट लेवल पर आ गए। इस तरह मजबूत शुरुआत करने के बावजूद पहले दिन के कारोबार में कंपनी के आईपीओ निवेशकों को न तो फायदा हुआ और न ही नुकसान।

जेडी केबल्स का 95.99 करोड़ रुपये का आईपीओ 18 से 22 सितंबर के बीच सब्सक्रिप्शन के लिए खुला था। इस आईपीओ को निवेशकों की ओर से शानदार रिस्पॉन्स मिला था, जिसके कारण ये ओवरऑल 127.78 गुना सब्सक्राइब हुआ था। इनमें क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल बायर्स (क्यूआईबी) के लिए रिजर्व पोर्शन 125.44 गुना सब्सक्राइब हुआ था। वहीं, नॉन इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स (एनआईआई) के लिए रिजर्व पोर्शन में 179.28 गुना सब्सक्रिप्शन आया था। इसी तरह रिटेल इन्वेस्टर्स के लिए रिजर्व पोर्शन 106.89 गुना सब्सक्राइब हुआ था।

इस आईपीओ के तहत 84.41 करोड़ रुपये के नए शेयर जारी किए गए हैं। इसके अलावा 10 रुपये फेस वैल्यू वाले 7,61,600 शेयर ऑफर फॉर सेल विंडो के जरिये बेचे गए हैं। आईपीओ में नए शेयरों की बिक्री के जरिये जुटाए गए पैसे का इस्तेमाल कंपनी अपने कर्ज को कम करने, वर्किंग कैपिटल की जरूरतों को पूरा करने और आम कॉरपोरेट उद्देश्यों में करेगी।

कंपनी की वित्तीय स्थिति की बात करें तो प्रॉस्पेक्टस में किए गए दावे के मुताबिक इसकी वित्तीय सेहत लगातार मजबूत हुई है। वित्त वर्ष 2022-23 में कंपनी को 32 लाख रुपये का शुद्ध लाभ हुआ था, जो अगले वित्त वर्ष 2023-24 में बढ़ कर 4.58 करोड़ रुपये और 2024-25 में उछल कर 22.15 करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंच गया। इस दौरान कंपनी का राजस्व 147 प्रतिशत वार्षिक से अधिक की चक्रवृद्धि दर (कंपाउंड एनुअल ग्रोथ रेट) से बढ़ कर 250.70 करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंच गया।

इस दौरान कंपनी पर कर्ज लगातार बढ़ता गया। वित्त वर्ष 2022-23 के आखिर में कंपनी का कर्ज 3.84 करोड़ रुपये, जो वित्त वर्ष 2023-24 के आखिर में बढ़ कर 17.77 करोड़ रुपये हो गया। इसी तरह वित्त वर्ष 2024-25 के आखिर में कंपनी का कर्ज उछल कर 45.91 करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंच गया।

इस अवधि में कंपनी के रिजर्व और सरप्लस की बात करें, तो यह वित्त वर्ष 2022-23 के आखिरी में ये 1.15 करोड़ रुपये के स्तर पर था, जो वित्त वर्ष 2023-24 के आखिरी में बढ़ कर 17.77 करोड़ रुपये और वित्त वर्ष 2024-25 के आखिरी में उछल कर 45.91 करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंच गया।

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