अमेरिका के साथ मुद्दों को सुलझाने में जुटा भारत

(रिपोर्ट. शाश्वत तिवारी) नई दिल्ली। भारत और अमेरिका के बीच चल रहे टैरिफ विवाद के बीच विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने अहम बयान दिया है। एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि भारत अमेरिका के साथ कुछ मुद्दों को सुलझाने में जुटा है और इस दिशा में प्रगति हो रही है। हालांकि जयशंकर ने दोनों देशों के बीच व्यापार वार्ताओं में हो रही धीमी प्रगति को एक प्रमुख मुद्दा बताते हुए कहा कि दोनों देशों के बीच व्यापारिक समझौतों पर अभी तक कोई अंतिम सहमति नहीं बन पाई है, जिसके कारण अमेरिका ने भारत पर कुछ टैरिफ लगाए हैं। विदेश मंत्री ने स्पष्ट तौर पर कहा कि भारत ने इन टैरिफ को सार्वजनिक रूप से अनुचित करार दिया है।
जयशंकर ने यहां आयोजित चौथे कौटिल्य आर्थिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए यह टिप्पणी की। इस साल कौटिल्य इकोनॉमिक कॉन्क्लेव की थीम ‘उथल-पुथल भरे समय में समृद्धि की तलाश’ थी, जिसमें 30 से अधिक देशों के करीब 75 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। विदेश मंत्री ने अपने संबोधन के बाद सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, उत्पादन, आपूर्ति श्रृंखलाओं, व्यापार, कनेक्टिविटी, डेटा और संसाधनों के लाभ से प्रेरित परिवर्तनों के रणनीतिक परिणामों पर प्रकाश डाला। साथ ही विनिर्माण को विकसित करने, जीवन को आसान बनाने और हमारी व्यापक राष्ट्रीय शक्ति को आगे बढ़ाने के लिए वैश्विक बदलावों के प्रति भारत के दृष्टिकोण को रेखांकित किया।
जयशंकर ने सम्मेलन के दौरान कहा आज हथियारों और युद्ध की प्रकृति मूल रूप से बदल चुकी है। हमने कई संघर्षों में ऐसा देखा है, जैसे अजरबैजान-आर्मेनिया, यूक्रेन-रूस और इजरायल-ईरान। युद्ध अब अक्सर कॉन्टैक्टलेस वॉर (संपर्क रहित युद्ध) के रूप में लड़े जा रहे हैं, जिनमें स्टैंड ऑफ वेपंस का इस्तेमाल होता है। इनके नतीजे बेहद प्रभावशाली, कभी-कभी निर्णायक भी हो सकते हैं। दुनिया के कई हिस्सों में वैश्वीकरण के विरोध की प्रवृत्ति लगातार बढ़ रही है।
उन्होंने कहा कि दरअसल अब कई घटनाएं एक ही समय में वैश्विक अर्थव्यवस्था पर प्रभाव डाल रही हैं और इस वजह से आज एक विरोधाभासी स्थिति पैदा हो रही है। एक ओर, ये वही कारक हैं, जो अधिक जोखिम उठाने को प्रोत्साहित करते हैं, लेकिन दूसरी ओर इसके नतीजों को देखते हुए राजनीति और अर्थव्यवस्था के हर पहलू में जोखिम कम करने के प्रयास किए जा रहे हैं।

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