नई दिल्ली : बिहार विधानसभा चुनाव और अन्य राज्यों में उपचुनाव से पहले चुनाव आयोग ने सोशल मीडिया और डिजिटल प्रचार के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं। अब सभी राजनीतिक विज्ञापनों के लिए मीडिया प्रमाणन एवं निगरानी समिति (एमसीएमसी) से पूर्व-प्रमाणन, उम्मीदवारों को नामांकन के समय अपने सोशल मीडिया खातों की जानकारी और राजनीतिक दलों को चुनाव के 75 दिनों के भीतर डिजिटल प्रचार पर हुए खर्च का विवरण आयोग को देना अनिवार्य कर दिया गया है।
आयोग ने निर्देश दिया कि बिना एमसीएमसी की मंजूरी के कोई भी राजनीतिक विज्ञापन सोशल मीडिया या इंटरनेट पर प्रकाशित नहीं होगा। इसके लिए जिला और राज्य स्तर पर मीडिया प्रमाणन एवं निगरानी समिति (एमसीएमसी) का गठन किया गया है, जो सोशल मीडिया सहित सभी इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों पर प्रसारित होने वाले विज्ञापनों की जांच करेगी और पेड न्यूज के संदिग्ध मामलों पर आवश्यक कार्रवाई करेगी।
नामांकन के समय उम्मीदवारों से उनके सोशल मीडिया खातों की जानकारी ली जाएगी, जिससे आयोग उनके डिजिटल प्रचार की निगरानी कर सके।
जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 77(1) और उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के तहत चुनाव प्रचार खर्च की जानकारी देना अनिवार्य किया गया है। इस खर्च में इंटरनेट कंपनियों और वेबसाइटों को किए गए भुगतान, प्रचार सामग्री के निर्माण, सोशल मीडिया खातों के संचालन से जुड़े व्यय और अन्य डिजिटल प्रचार संबंधी खर्च शामिल
होंगे।
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