दिल्ली में कमांडर्स कॉन्फ्रेंस आज से, तीन दिन होगी नौसेना की युद्धक तैयारियों पर चर्चा

नई दिल्ली : ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद भारतीय नौसेना की द्विवार्षिक कमांडर्स कॉन्फ्रेंस का दूसरा संस्करण आज से नई दिल्ली में शुरू हो रहा है। यह 24 अक्टूबर तक चलेगा। यह सम्मेलन नौसेना की युद्धक तैयारियों की पृष्ठभूमि के लिहाज से महत्वपूर्ण है, क्योंकि भारतीय सेना, वायु सेना और भारतीय तटरक्षक बल के साथ युद्ध क्षमताओं, अंतर-संचालन क्षमता और संयुक्त अभियानों को बढ़ाने पर केंद्रित होगा।

 

नौसेना के कैप्टन विवेक मधवाल के अनुसार, इस दौरान रक्षामंत्री और कैबिनेट सचिव नौसेना कमांडरों को संबोधित करेंगे। उनके संबोधनों में व्यापक राष्ट्रीय हितों तथा विकसित भारत 2047 के दृष्टिकोण पर फोकस होगा। यह सम्मेलन राष्ट्रीय नेतृत्व और नौकरशाहों के साथ घनिष्ठ संवाद के लिए एक मंच प्रदान करेगा और वर्तमान भू-रणनीतिक परिवेश में बहुआयामी चुनौतियों के समाधान के लिए नौसेना के दृष्टिकोण को सुदृढ़ करेगा। सम्मेलन में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ और चीफ ऑफ एयर स्टाफ के संबोधन और वरिष्ठ नौसेना नेतृत्व के साथ गहन चर्चाएं भी शामिल होंगी। संवाद का उद्देश्य संयुक्त योजना एवं संचालन के क्रियान्वयन में तालमेल और क्षमता वृद्धि के लिए संसाधनों का उपयोग करना होगा।

 

नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी कमांडर-इन-चीफ के साथ हिंद महासागर क्षेत्र में समग्र सुरक्षा स्थिति से संबंधित योजनाओं की समीक्षा और मूल्यांकन करेंगे। वर्तमान परिदृश्य में विभिन्न ऑपरेशन कार्यों के लिए नौसेना संचालन, प्रशिक्षण और संसाधन उपलब्धता से संबंधित मुद्दों पर भी चर्चा होगी। कमांडर भविष्य की संभावनाओं के लिए नौसेना के रोडमैप पर भी गहन विचार-विमर्श करेंगे, जिसमें प्रमुख प्रवर्तक, बेहतर ऑपरेशन लॉजिस्टिक्स और डिजिटलीकरण शामिल हैं। युद्ध समाधानों और सुरक्षित वातावरण में निरंतर निर्बाध संचालन के लिए विघटनकारी तकनीकों जैसे एआई, बिग डेटा और मशीन लर्निंग की समीक्षा करने के लिए चर्चा की योजना बनाई गई है।

 

सम्मेलन में नौसेना का शीर्ष नेतृत्व व्यापक स्तर पर पश्चिमी और पूर्वी समुद्री तटों पर अपनी परिचालन तैयारियों की समीक्षा करेगा। यह सम्मेलन ‘मेक इन इंडिया’ योजना के तहत स्वदेशीकरण और नवाचार को बढ़ावा देगा। साथ ही भारत सरकार के महासागर (सभी क्षेत्रों में सुरक्षा के लिए पारस्परिक और समग्र उन्नति) के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाएगा। भारतीय नौसेना को आईओआर और इंडो-पैसिफिक में पसंदीदा सुरक्षा भागीदार के रूप में बढ़ावा देने पर भी चर्चा होगी।

 

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